165 वर्षों बाद बन रहा अधिक मास का यह संयोग, भक्तों के दूर होंगे संकट

हर वर्ष श्राद्ध पक्ष के बाद नवरात्रि की शुरुआत होती हैं। लेकिन इस वर्ष अधिक मास लगने के कारण 1 माह के अंतर पर अश्विन मास में नवरात्रि आरंभ होगी। जानकारों की मानें तो संयोग करीब 165 वर्ष बाद आ रहा है। आश्विन माह में अधिमास 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक चलेगा। इसके चलते इस बार 24 की जगह 26 एकादशियां और चार की जगह पांच माह का चतुर्मास होगा। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक यह अधिकमास बहुत ही पुण्य फल देने वाला साबित होगा। अथर्ववेद में इस मास को भगवान का घर बताया गया है- ‘त्रयोदशो मास इन्द्रस्य गृह:।’

क्या करना चाहिए

भगवान विष्णु की पूजा : अधिकमास के अधिपति देवता भगवान विष्णु को कहा गया है। अधिकमास की कथा भगवान विष्णु के नृःसिंह अवतार और श्रीकृष्ण से जुड़ी हुई है। इस मास में श्रीकृष्ण, श्रीमद्भगवतगीता, श्रीविष्णु भगवान के श्री नृःसिंह स्वरूप की उपासना का विशेष महत्व है। इस माह भगवान विष्णु की उपासना करने का अपना अलग ही महत्व है। जो श्रद्धालु इस माह में व्रत, पूजा और उपासना करता है उसे सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। वह वैंकुठ का हमदार हो जाता है। इस मास में श्रद्धा-भक्ति के साथ भगवान की पूजा-अर्चना, व्रत आदि करने से व्यक्ति के सभी कष्ट कट जाते है। उसके पापों का नाश हो जाता है और अंत में भगवान के धाम में शरण मिल जाती है।

नृःसिंह भगवान की पूजा : धर्म ग्रंथों के मुताबिक श्री नृःसिंह भगवान ने इस मास को अपना नाम देते हुए कहा है कि मैं इस मास का स्वामी हो गया हूं और अब इस नाम से सारा जगत पवित्र होगा। इस माह में जो भी भक्त मुझे प्रसन्न करेगा, उसके सभी कष्टों का निवारण हो जाएगा और उसकी हर मनोकामना सिद्ध होगी।

33 देवताओं की पूजा

इस मास में विष्णु, जिष्णु, महाविष्णु, हरि, कृष्ण, भधोक्षज, केशव, माधव, राम, अच्युत, पुरुषोत्तम, गोविंद, वामन, श्रीश, श्रीकांत, नारायण, मधुरिपु, अनिरुद्ध, त्रीविक्रम, वासुदेव, यगत्योनि, अनन्त, विश्वाक्षिभूणम्, शेषशायिन, संकर्षण, प्रद्युम्न, दैत्यारि, विश्वतोमुख, जनार्दन, धरावास, दामोदर, मघार्दन एवं श्रीपति जी की पूजा से विशेष लाभ मिलता है।

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