प्रेमी-प्रेमिका और साली के ‘पर्सनल’ गैंग ने 10 हजार लोगों को लगाया चूना, बेहद लुभावना था स्कीम!

 

प्रेमी-प्रेमिका और साली के ‘पर्सनल’ गैंग ने 10 हजार लोगों को लगाया चूना, बेहद लुभावना था स्कीम!

एमपी की राजधानी भोपाल पुलिस को लगातार पर्सनल लोन के नाम पर धोखाधड़ी की शिकायत मिल रही थी, बीते कुछ दिनों में करीब दर्जन भर लोगों ने ठगी की शिकायत की थी, इसके बाद साइबर क्राइम भोपाल ने इस हाइटेक मामले की जांच शुरु कर दगी, जिसके बाद इसके तार नोएडा से संचालित हो रहे एक कॉल सेंटर से जुड़ी मिली, इस कॉल सेंटर के लोग पर्सनल लोन देने के नाम पर लोगों को फोन करते थे, फिर उनसे ठगी करते थे, साइबर सेल ने इसके साथ ही गाजियाबाद तथा नोएडा में छापेमारी की, गाजियाबाद से 4 लोग गिरफ्तार हुए, जिसमें डेविड कुमार जाटव, मनीषा भट्ट, नेहा भट्ट और कमल कश्यप शामिल है, इन लोगों ने ठगी के लिये कई फर्जी कंपनियों का निर्माण किया था।

डेविड है गिरोह का मुखिया
पुलिस के मुताबिक डेविड कुमार जाटव इस गिरोह का मुखिया है, जो स्विफ्ट फायनेंस के नाम से एक आईटी कंपनी चलाता है, 
डेविड कुमार जाटव ने ऑनलाइन वेब डिजाइनिंग का कोर्स किया है, ये फर्जी वेबसाइट ग्राहकों को लोन देने के लिये बनाया था, इसके साथ ही ऑनलाइन विज्ञापन गूगल ऐड पर देता था, इस काम के लिये उसने नोएडा में दो कॉल सेंटर खोल रखे थे, जहां 25-30 लड़कियों को कॉल करने के लिये रखा था।

मंगेतर देखती है फर्जी कंपनियों का काम
डेविड की मंगेतर नेहा भट्ट फर्जी कंपनियों का काम देखती थी, पुलिस के मुताबिक नेहा भट्ट और डेविड दोनों रिलेशनशिप में हैं, दोनों अगस्त 2018 से साथ काम कर रहे हैं, 
डेविड ने सभी फर्जी कंपनियां अपनी मंगेतर को खुश करने के लिये बनाई थी, सारी कंपनियों का ऑपरेशन का काम नेहा ही देखती थी।

मंगेतर की बहन के लिये कॉल सेंटर
गिरोह में नेहा की बहन भी शामिल है, मनीषा भट्ट कॉल सेंटर के प्रबंधन का काम देखती थी, वह ग्राहकों को कॉल के जरिये ऑनलाइन फंसाती थी, इस गिरोह में शामिल कमल कश्यप ग्राहकों से पैसे लेने के लिये फर्जी बैंक अकाउंट और सिम कार्ड उपलब्ध कराता था, डेविड कुमार जाटव इसे 50 हजार रुपये प्रति फर्जी बैंक खाते के आधार पर पेमेंट करता था। गिरफ्तार आरोपी फर्जी वेबसाउट डेवलप कर गूगल पर विज्ञापन देते थे, जब ग्राहक लोन के लिये पर्सनल जानकारी डालते थे, तो कंपनी के कॉल सेंटर से ग्राहकों को लड़कियां फोन करती थी, प्रोसेसिंग फीस, सिक्योरिटी, डिपॉजिट, जीएसटी और वन टाइम ट्रांजेक्शन के नाम पर अलग-अलग चार्जेस के रुप में ग्राहकों से तीस से चालीस हजार की ठगी करते थे, ये लोग एक फर्जी वेबसाइट को दो से तीन महीने तक इस्तेमाल करते थे, उसके बाद उसे बंद कर देते थे।

रोजाना 1 हजार से 12 सौ लोगों से ठगी
गिरोह के लोग फर्जी वेबसाइट से रोजाना 1 हजार से 12 सौ लोगों से अलग-अलग स्तरों पर ठगी करते थे, कॉल करने के लिये ये लोग फर्जी सिम का इस्तेमाल करते थे, ग्राहकों को पोन करने के लिये नोएडा में दो कॉल सेंटर खोला गया था, जिसका मासिक किराया डेढ लाख रुपये था, 25-30 लड़कियों को 10 से 15 हजार के वेतन पर रखा गया था, पुलिस के मुताबिक इन लोगों ने करीब 10 हजार लोगों से 10 करोड़ रुपये की ठगी की है, इनके पास से 6 लैपटॉप, 25 मोबाइल 21 पेन ड्राइव, 8 सिम कार्ड, 19 डेबिट कार्ड तथा अन्य दस्तावेज मिले हैं।

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