‘रानी की वाव’ की कहानी, जिसकी तस्वीर 100 रूपये के नोट पर छपी है

ऐतिहासिक इमारतों के बारे में जब भी हम पढ़ते या सुनते हैं, तो मालूम चलता है कि ज्यादतर महल व ऐतिहासिक इमारतें राजा अपनी रानियों के लिए बनवाया करते थे। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी ऐतिहासिक इमारत के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे किसी राजा ने नहीं बल्कि एक रानी ने अपने राजा के लिए बनवाया था। ये है बावड़ी है, जिसका नाम है ‘रानी की वाव’। गुजराती भाषा में बावड़ी को वाव कहा जाता है।

ये बावड़ी गुजरात के पाटन जिले में स्थित एक बेहद ही प्रसिद्ध बावड़ी यानी सीढ़ीदार कुंआ है। इस बावड़ी को आपने नये 100 रूपये के नोट के पीछे भी देखा होगा।
आपको जानकर हैरानी होगी कि यूनेस्को ने 5 साल पहले साल 2014 में इसे वर्ल्ड हैरिटेज में शामिल किया था।
वहीं, कुछ समय पहले इसे नए 100 रूपये के नोट में भी जगह दी गई है।
आइए जानते हैं ‘रानी की वाव’ के बारे में खास बातें-
रानी की वाव को 11वीं शताब्दी में सोलंकी वंश में बनवाया गया था। इसे बनवाने वाला कोई राजा नहीं बल्कि सोलंकी वंश के राजा भीमदेव प्रथम की पत्नी रानी ‘उदयमती’ थी। रानी उदयमती ने अपने पति के निधन के बाद इस बावड़ी का निर्माण उनकी याद में करवाया था।
हालांकि, इस बावड़ी को बनाये जाने के पीछे मुख्य कारण था पानी का प्रबंध करना। बताया जाता है कि इस क्षेत्र में बहुत ही कम बारिश होती है, इस वजह से इसका निर्माण किया गया। कहा जाता है कि ये बावड़ी सरस्वती नदी से जुड़ी हुई थी, जोकि अब विलुप्त हो चुकी है। पहले ये पूरी बावड़ी सरस्वती नदी के पानी से भरी हुई थी, लेकिन बाद में सरस्वती नदी के विलुप्त ह जाने के बाद ये बावड़ी गाद से भर गई थी। कुछ समय बाद भारतीय पुरातत्व विभान ने इसे खोज निकाला।
आपको बता दें, ये बावड़ी 7 मंजिल की है। पर्यटकों के लिए 7वीं मंजिल खुली है, लेकिन अगर आप सीढ़ियों से जैसे-जैसे नीचे जाएंगे आपको लगेगा आप जमीन के अंदर प्रवेश कर रहे है जोकि काफी खतरनाक है।
इन सब के अलावा इस ऐतिहासिक स्थल की नक्काशी और यहां लगी मूर्तियों की खूबसूरती आपका दिल मोह लेंगी।
कहते हैं कि इस बावड़ी के अंदर एक खुफिया सुरंग भी हुआ करती थी, जो पाटन से सीधा सीधपुर में जाकर खुलती है। इस सुरंग का इस्तेमाल राजा और उनका परिवार युद्ध के दौरान किया करते थे। अब इस सुरंग को रेत और पत्थरों से भर दिया गया है।
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