दिल्ली HC का मोदी सरकार को तंज, ‘Make in India’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पाखंड, जानिए क्यों..

Delhi HC on Modi

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) के चर्चा में रहे स्लोगन मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर को पाखंडी बताया है। कोर्ट ने केंद्र की मोदी सरकार पर तीखी टिप्पणी

 करते हुए इन्हें महज जुमला बताया है। हाईकोर्ट ने तीखे लफ्जों में केंद्र पर तंज कसते हुए कहा कि आपके शब्द आपके कार्रवाई से मेल नहीं खाते जो दर्शाते हैं कि आपके द्वारा कहे गए सभी शब्द महज ढोंग हैं। हाईकोर्ट ने ऐसी टिप्पणी सेंटर फॉर एविएशन पॉलिसी, सेफ्टी एंड रिसर्च की याचिका पर की थी जोकि विभिन्न क्षेत्रीय हवाई अड्डों पर ग्राउंड हैंडलिंग सर्विस उपलब्ध कराने के लिए निकले टेंडरों में कंपनियों की योग्यता के पैमाने में बदलाव को लेकर थी।

मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पाखंड- HC
दिल्ली हाईकोर्ट की पीठ ने केंद्र सरकार को एक नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस मुद्दे को राजनीतिक नेतृत्व बताया। कोर्ट के मुताबिक, ये बेहद दुख की बात है कि एक तरफ केंद्र सरकार मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की बात कह रही है तो वहीं दूसरी तरफ केंद्र ऐसे टेंडर निकालती है, जो छोटी कंपनियों को क्षेत्रीय हवाईअड्डों पर ग्राउंड हैंडलिंग सर्विस के लिए हिस्सेदारी करने से रोकते हैं।

शब्द काम से मेल नहीं- HC
जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रजनीश भटनागर की पीठ के केंद्र के जुमलों पर तंज कसते हुए कहा, अगर आप छोटी कंपनियों को हटाना चाहते हैं तो ऐसा ही कहिए। अपने भाषणों में आप बड़ी-बड़ी बातें करते हैं जैसे आपका राजनीतिक नेतृत्व मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की बात, स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने की बात लेकिन आपके शब्द, आपके काम से मेल नहीं खाते है जोकि पूरी तरह ढोंगी और पाखंडी है।

बड़ी जेब का खेल- HC
पीठ ने कहा, अगर आप (केंद्र सरकार) इसी तरह से चलना चाहते हैं तो मेक इन इंडिया जैसे जुमले क्यों देते हैं। एक तरफ आप कहते हैं कि इस देश, उस देश से आयात बंद करो और दूसरी तरफ आप छोटे उद्यमियों को आगे बढ़ने नहीं दे रहे हैं। बता दें कि टेंडर में भाग लेने के लिए केंद्र ने 35 करोड़ रुपये से ज्यादा की उपलब्धता और शेड्यूल्ड एयरलाइंस के साथ काम करने की योग्यता का पैमाना बनाया गया है। इसका हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने कहा, आप बड़ी जेब और शायद विदेशी टाइप वाले बड़े खिलाड़ी (कंपनियां) को ही अंदर आने देना चाहते हैं।

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