बर्गर आज एक ऐसा नाम है जो हिन्दुस्तान के हर प्रान्त में उसके कोने-कोने में मौजूद हो चुका है। यह शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरीक़ों से बनाया जाता है। बहरहाल, अमूमन हम अपने आसपास बड़े बुज़ुर्गों से यह कहते सुनते हैं कि आजकल के लड़के पता नहीं कौन-कौन सी नयी-नयी चीज़ें खाने लगे हैं। ये बर्गर वगैरह जैसी नयी चाज़ें जब से चल गयी हैं, तो बच्चों का खानपान बदल गया है। वास्तव में जब हम इस तरह की चीज़ें अपने बड़ों से सुनते हैं तो एक बार के लिए हम भी यह मान बैठते हैं कि हाँ, बर्गर खाने वाली कोई हाल-फिलहाल में इजाद हुयी चीज़ है।
वास्तव में बर्गर को लेकर ज़्यादातर लोगों की यही धारणा है कि यह हाल फिलहाल में आयी कोई डिस है, लेकिन सच्चाई यह है कि आप सोच भी नहीं सकते हैं कि बर्गर का इतिहास कितना पुराना हो सकता है। जी हाँ, अगर मैं आपसे यह कहूँ कि बर्गर तो मंगोल भी खाया करते थें, तो शायद ये बात सुनकर आपको थोड़ा अजीब लगे, लेकिन ये बात सौ टका सच है। आपको यह बी जानना चाहिए कि मंगोलों का शासन कोई 13वीं और 14वीं शताब्दी में हुआ करता था।
आपको बता दें कि साल 1747 में ब्रिटेन का बर्गर से परिचय हुआ और यह वहाँ भी जा जमा। जब बर्गर को ब्रिटेन के लोगों ने अपनाया तो इसके पकाने की विधि तो पुरानी ही रही, लेकिन इसका नाम बदलकर वह हैंम्बर्ग बुलाने लगे। ब्रिटेन के बाद साल 1885 में बर्गर का परिचय अमेरिका ने किया। इस साल न्यूयॉर्क के एरी काउंटी मेले में द मेचेस ब्रदर्स ने सबसे पहले बर्गर लाकर बेचा था।
सबसे पहले किस देश में बनाया गया था बर्गर?
डेविड माइकल्स की किताब 'द वर्ल्ड इज यॉर बर्गर' में बर्गर का सांस्कृतिक इतिहास बताया गया है। इस किताब में बताया गया है कि बर्गर' सबसे पहले रोम में पहली शताब्दी में बना था। यह 'आइसिसिया ओमेंटेटा' व्यंजन के तौर पर बनता था। 'आइसिसिया ओमेंटेटा' ही 'हैमबर्गर' से मिलता-जुलता पहला पकवान था। यह कीमा, काली मिर्च, बादाम और वाइन के साथ ही मछली के सॉर्स में तैयार होता था।
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