ड्रैगन की चाल में फंसे श्रीलंका को भारत से ये है बड़ी उम्मीद


भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव जारी हैं, वहीं चीन की भाषा बोलने वाला नेपाल भी भूमाफिया चीन को समझ नहीं पाया और खबरें सामने आ रही हैं कि नेपाल सीमा पर चीन करीब डेढ़ किलोमीटर तक अंदर आ चुका है और कई गांव कब्ज़ा लिए हैं। वहीं चीन की सभी चालाकियों को श्रीलंका समझ चुका है कि अब ड्रैगन साथ दोस्ती करनी उसे काफी महंगी पड़ सकती है। श्रीलंका का फैसला किया है कि वो चीन से दूरी बनाएगा और भारत से दोस्ती को आगे बढ़ाएगा। नेपाल और बांग्लादेश को लेकर दक्षिण एशिया मामलों के जानकारों आने वाले भविष्य में इन दोनों ही देशों को चीन के साथ दोस्ती महंगी पड़ेगी।

श्रीलंका के विदेश सचिव जयानाथ कोलोमबाजे ने एक टीवी चैनल से बात करते हुए बताया है कि राष्ट्रपति (गोटबाया राजपक्षे) ने कहा है कि तटस्थ विदेश नीति पर श्रीलंका चलना चाहता है। वहीं रणनीतिक और सुरक्षा मामलों में ‘इंडिया फर्स्ट’ की नीति पर ही चलेगा। भारत के लिए हम रणनीतिक खतरा नहीं बन सकते हैं। भारत से हमे फ़ायदा ही होगा। राष्ट्रपति का कहना है कि जहां तक सुरक्षा की बात है तो वो हमारी पहली प्राथमिकता हैं, लेकिन आर्थिक समृद्धि के लिए हमे दूसरों के साथ भी समझौता करना है। तटस्थ विदेश नीति को लेकर विदेश सचिव ने कहा कि श्रीलंका भारत के रणनीतिक हित की रक्षा करेगा।

इस बीच उन्होंने बड़ी बात कहते हुए कहा कि चीन को हम्बनटोटा बंदरगाह 99 वर्ष के लिए लीज पर देना बड़ी गलती है।विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राजपक्षे की चुनाव में जीत के बाद अपने गुनाववर्धने से लम्बी चर्चा की थी। देश में गृह युद्ध दौरान रक्षा सचिव रहे गोटबाया राजपक्षे की जीत के बाद कहा है कि यह भारत के लिए काफी मायने रखती है क्योंकि भारत को पूरी उम्मीद है कि कोलंबो का नया प्रशासन नई दिल्ली के रणनीतिक हितों के खिलाफ विदेशी शक्ति को इजाजत नहीं देगा।

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