पुत्र मोह में फंसी सोनिया गांधी को देख पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की चिंता बढ़ी


कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है, वरिष्ट नेता चाहते हैं कि पार्टी को जल्द पूर्णकालिक अध्यक्ष मिले। जिससे पार्टी मजबूत विपक्ष की भूमिका निभा सके। कांग्रेस के 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखा जिस मीडिया में भी लीक किया गया। पत्र लिखने वालों में कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आज़ाद, मनीष तिवारी के नाम भी शामिल हैं। जिसके बाद पार्टी के भीतर ही कार्यसमिति की बैठक पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग करने वाले और पत्र लिखने वाले नेताओं की आलोचना शुरू हो गई। इनमे राहुल गांधी के बेहद करीबी नेता शामिल हैं। खास बात यह है कि जैसे पत्र मीडिया के सामने आया था ठीक वैसे ही बैठक में हो रही बाते भी न्यूज़ चैनल पर ब्रेकिंग में चल रहे थे। जिसके बाद भी पत्र लिखने वाले नेता पार्टी में पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि मौजूदा दौर में पार्टी कमजोर हुई हैं और वक़्त रहते अब इसमें सुधार नहीं किया गया तो पार्टी आने वाले चुनावों में ख़राब प्रदर्शन ही करेगी।

गांधी परिवार पर ही पूरी पार्टी को आश्रित है लेकिन जब से कांग्रेस सत्ता से दूर हुई है। वो दिन प्रतिदिन कमजोर ही हो रही है। राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से जब से इस्तीफा दिया है तब से ही सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष बनी हुई हैं। कमजोर हो रही पार्टी को देखते हुए वरिष्ठ नेताओं ने ही पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग की है। राहुल के इस्तीफे के बाद माना जा रहा था कि गांधी परिवार के बाहर का भी कोई पार्टी का अध्यक्ष बन सकता है। लेकिन ऐसा पिछले 12 माह में हुआ नहीं। दूसरी तरफ देखने को यह भी मिल रहा है कि राहुल भले ही अब पार्टी के अध्यक्ष पद नहीं हैं लेकिन पार्टी के फैसले ले वहीं रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद देखने रहा है कि राहुल पार्टी को सही दिशा नहीं दे पाएं हैं। जिसके बाद पार्टी के कई नेता नाराज हुए हैं।

मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया नाराज हुए और पार्टी से बाहर हो गए जिसकी वजह से कई अन्य नेता भी उनके साथ चल दिए जिसके बाद कमलनाथ की सरकार गिर गई और सत्ता में बीजेपी वापस आ गई। ऐसा ही कुछ राजस्थान में भी देखने को मिला। लेकिन अशोक गहलोत सरकार के ऊपर जो संकट के बादल थे वो जल्द छट भी गए। जिसके बाद ही अब पार्टी में पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग तेज हो गई है। इस बीच सच तो यही है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता नहीं चाहते हैं कि राहुल गांधी को दोबारा अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी नहीं मिले क्योंकि पीएम नरेंद्र मोदी को राहुल चुनौती नहीं दे पा रहे हैं। जिसकी वजह से जनता में भी राहुल की साख कम हुई है और पीएम मोदी की बढ़ी है।

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