पानी पीने का ये तरीक़ा आपको अब तक किसी ने भी नहीं बताया होगा?

पानी पीने का अपना एक सही तरीक़ा होता है। इसमें से कई सारे लोगों ने आपको कुछ नियम बताये भी होंगे। मसलन कि पानी ताँबे के पात्र में पीना चाहिए। पानी बैठकर पीना चाहिए आदि-आदि। लेकिन आज हम आपको पानी पीने के संबंध जो जानकारी देने जा रहे हैं, वह इन सभी से थोड़ा अलग और बेहद ज़रूरी है। जी हाँ, हो सकता है कि पानी पीने के संबंध में आज हम आपको जो बात बताने जा रहे हैं, कुछ लोगों को ये पसन्द न आये और उन्हें बोझिल लगे। लेकिन वास्तव में पानी पीने की वास्तविक और आदर्श स्थित की जानकारी तो हम सभी को होनी ही चाहिए।
सबसे पहले तो यह जान लें कि दुनिया के कई हिस्सों में ख़ासतौर पर अमेरिका में हर कोई पानी के गिलास को तीन चौथाई आइस क्यूब से भरकर पीता है। ये सब देखकर सच में बड़ी हैरानी होती है, क्योंकि हम जो भी पानी पीते हैं, उसका हमारे शरीर के तापमान से सामन्जस्य होना अति आवश्यक होता है। वरना फिर हमारा शरीर पानी को लेकर काफ़ी भ्रमित हो जाएगा और फिर धीरे-धीरे यह हमारी बीमारी का बड़ा कारण बनेगा।
आपको बता दें कि ऐसा नहीं है कि विद्यार्थी और गृहस्थ दोनों एक ही तरीक़े से पानी पियेंगे। जी हाँ, सभी के लिए पानी पीने की अलग-अलग गुंजाइश होती है। आपको बता दें कि यदि आप एक योगी हैं और आन्तरिक रूपान्तरण के पथ पर हैं तो फिर आपको हमारे शरीर के आदर्श तापमान 36 डिग्री सेल्सियस के महज 4 अंकों के अंतर के तापमान वाला पानी पीना चाहिए। यानी कि एक योगी 32-40 डिग्री सेल्सियस वाला पानी पीना चाहिए।
इसके अलावा यदि आप विद्यार्थी हैं यानी सिर्फ़ ज्ञान पाना चाहते हैं, किसी तरह के आन्तरिक रूपांतरण की प्रक्रिया में नहीं हैं तो फिर आप 8 अंकों के अंतर के तापमान वाला पानी यानी 28-44 डिग्री सेल्सियस के ताप का पानी पी सकते हैं।
इसके बाद यदि आपको न तो किसी ज्ञान से मतलब है और न ही किसी तरह के रूपांतरण से यानी कि यदि आप सम्पूर्ण गृहस्थ हैं तो फिर आप दोनों ओर 12 डिग्री अंतर यानी 24-48 डिग्री सेल्सियस के ताप का पानी पी सकते हैं। इसके ऊपर या नीच के ताप का पानी तो किसी को नहीं पीना चाहिए।

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