यह दंपति मूल रूप से कर्नाटक का रहने वाला है। हनुमान की जन्मस्थली भी कर्नाटक में ही है। बजरंग बली, राम-रावण युद्ध में लक्ष्मण के मूर्छित होने पर संजीवनी लाए थे। उसी कर्नाटक के वेंकटेश रमन और उनकी पत्नी पीओके से शारदा पीठ की मिट्टी राममंदिर के लिए लेकर आए। वे दोनों चीन में ही रहते हैं। सेवा शारदा पीठ ने उनसे सम्पर्क किया जिसके बाद पीओके में भारतीयों के जाने पर पाबंदी के नाते वेंकटेश रमन और उनकी पत्नी को चीन के पासपोर्ट पर वहां भेजा गया। यह दंपति हांगकांग से पीओके की राजधानी मुजफ्फराबाद तक पहुंचा। दोनों लोग वहां से शारदा पीठ गए। वहां का प्रसाद और मिट्टी लेकर हांगकांग के रास्ते दिल्ली आ गए।
यहां दंपति ने सेवा शारदा पीठ के सदस्य अंजना शर्मा को मिट्टी और प्रसाद सौंप दिया। शर्मा ने कहा कि वह शारदा पीठ के मुख्य पुजारी रवींद्र पंडित के निर्देश पर अयोध्या आए हैं। शर्मा अपने साथ कर्नाटक के अंजना पर्वत का जल भी लाए थे। अंजना पर्वत को हनुमान जी का जन्म स्थान कहा जाता है। उन्होंने कहा कि गोकर्ण से भी पवित्र जल भूमि पूजन के लिए लाया गया है। श्रीलंका और नेपाल से भी पवित्र मिट्टी और जल लाकर यहां प्रयोग किया जाए।
पाक अधिकृत कश्मीर में स्थित शारदा पीठ कश्मीरी पंडितों के तीन पवित्र स्थलों में से सबसे प्रमुख है। यह नीलम नदी के किनारे है। यह भारत के उरी से लगभग 70 किलोमीटर दूर है। शारदा पीठ तक पहुंचने के लिए दो रास्ते हैं। पहला मुजफ्फराबाद की ओर से और दूसरा पुंछ-रावलकोट की ओर से। उरी से मुजफ्फराबाद वाला मार्ग प्रचलित है। अध्कितर लोग यहीं से जाते हैं। पिछले साल 25 मार्च को पाक सरकार ने शारदा पीठ तक एक कॉरीडोर को मंजूरी दी थी, जिससे भारत के हिन्दू वहां दर्शन कर सकें।
आपको ये पोस्ट कैसी लगी नीचे कमेंट करके अवश्य बताइए। इस पोस्ट को शेयर करें और ऐसी ही जानकारी पड़ते रहने के लिए आप बॉलीकॉर्न.कॉम (bollyycorn.com) के सोशल मीडिया फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम पेज को फॉलो करें।
Post a Comment