लालू प्रसाद भला राम मंदिर मामले में टस से मस क्यों होते? उन्हें अल्पसंख्यक वोट की चिंता जो थी

भाजपा नेता एल.के.आडवाणी की राम रथ यात्रा के दौरान 1990 में नई दिल्ली के अन्य अनेक संवाददाताओं के साथ जनसत्ता के राम बहादुर राय भी चल रहे थे।
उस दौरान राय साहब तत्कालीन मुख्य मंत्री लालू प्रसाद से पटना में मिले। साथ में कुछ अन्य संवाददाता भी थे।

जेपी आंदोलन में दोनों -यानी लालू प्रसाद और राम बहादुर राय -छात्र संघर्ष संचालन समिति के प्रमुख सदस्य भी थे। यानी, सहकर्मी रह चुके थे। Lalu Yadavराय साहब ने लालू जी से कहा कि हमने मंडल आरक्षण का समर्थन किया । क्योंकि उससे सामाजिक अन्याय दूर करने में मदद मिलेगी। इसलिए आप भी राम मंदिर निर्माण का समर्थन कर दीजिए क्योंकि राम मंदिर तोड़कर बाबरी मस्जिद बनवाना भी ऐतिहासिक अन्याय था।

आप इस अन्याय को समाप्त करने में मदद नहीं करेंगे ? खैर, लालू प्रसाद उस पर भला टस से मस क्यों होते ? उन्हें अल्पसंख्यक वोट की चिंता जो थी। इस मामले में लालू जी अकेले नहीं थे। अब सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से इतिहास ने करवट ली है। राम मंदिर निर्माण के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी नीव पूजन करने जा रहे हैं।

कुछ अपवादों को छोड़कर इस देश के आम मुसलमान मंदिर निर्माण का अब विरोध नहीं कर रहे हैं। इससे समाज में बेहतर माहौल भी बना है। अल्पसंख्यकों ने पहले ही कह दिया था कि हम कोर्ट का निर्णय मानेंगे। वे धन्यवाद के पात्र हैं। .राम मंदिर निर्माण का श्रेय अब किसे मिल रहा है ? अनुमान लगाइए। यदि बाबरी मस्जिद के निर्माण को ऐतिहासिक अन्याय मानकर अन्य दलों ने नब्बे के दशक में ही राम मंदिर आंदोलन का समर्थन कर दिया होता तो मंदिर निर्माण का श्रेय किन -किन लोगों व संगठनों को मिलता ? जरा इस पर भी अनुमान के घोड़े दौड़ा लीजिए ।
(वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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