पापियों का नाश और मुक्ति का मार्ग दिखाने के लिए हुआ था कृष्ण का जन्म

श्री कृष्ण जन्माष्टमी बुधवार (12 अगस्त) मनाई जाएगी। भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष के रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। जन्माष्टमी का त्योहार हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जिसे बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। श्री कृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। द्वापर युग में जन्म लेकर उन्होंने राक्षसों का वध किया था। परम पुरुषोत्तम श्री कृष्ण ने महाभारत युद्ध के दौरान कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। भगवान श्री कृष्ण को मोक्ष देने वाला माना गया है। कंस का वध करने के लिए भगवान विष्णु ने श्री कृष्ण रूप में धरती पर अवतार लिया था। कृष्ण कंस की ही बहन देवकी के पुत्र थे। कंस को देवकी काफी प्रिय थी। लेकिन जब बहन देवकी का विवाह करवाकर कंस वापस महल की ओर लौट रहा था। उस ही वक़्त एक आकाशवाणी हुई जिसमे कंस से कहा गया गया कि तुम्हरी प्रिय बहन देवकी के गर्भ से जो 8वीं संतान होगी। वो तुम्हरी मौत की वजह बनेगी।

जिसके बाद कंस ने वहीं अपनी प्रिय बहन को अपने सैनिकों से बोलकर कालकोठरी में डलवा दिया। इसके बाद जब भी देवकी किसी बच्चे को जन्म देती कंस कारागार में पहुंचकर उस मासूम बच्चे को मार दिया करता था। देवकी ने जब 8 वीं संतान के रूप में कृष्ण को जन्म दिया तो विष्णु ने अपनी माया से कारागार के सभी ताले खोल दिए। इसके बाद कृष्ण के पिता वासुदेव उन्हें मथुरा नन्द बाबा के घर में छोड़ने गए जहां उन्होंने कृष्ण को छोड़ दिया और माया के अवतार जन्मी कन्या को वहां से लेकर चले गए।

जिसके बाद जब कंस को जानकारी मिली की देवकी ने 8वीं संतान को जन्म दिया है तो वो तुरंत कारागार पहुंचा और उसने कन्या को जमीन पर पटक दिया। जिसके बाद नीचे गिरते ही वो दिव्य कन्या हवा में उछल गई और बोली कि हे कंस तेरा काल धरती पर जन्म ले चुका है। जो जल्द ही तेरा अंत भी करेगा। मैं तो सिर्फ माया हूं। जिसके कुछ वर्षों बाद कंस का अंत भगवान श्रीकृष्ण ने उसके महल में आकर किया।

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