चीन मामलों में विशेषज्ञता रखने वाली कई अधिकारी भी मीटिंग में थे। विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला और रक्षा सचिव अजय कुमार भी इसमें मौजूद थे। ज्ञात हो कि चीन पैंगोंग सो, देपसांग से पीछे हटने में टालमटोल कर रहा है। मीटिंग में हुई बातचीत की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बताया, ”सैनिकों की संख्या कम करने का कोई सवाल ही नहीं उठता।” रविवार को सैन्य बातचीत के पांचवें दौर में भारतीय सेना ने चीन की पीएलए को स्पष्ट तौर पर बताया था कि वह भारत की क्षेत्रीय अखंडता पर समझौता नहीं करेगी और पैंगोंग सो तथा पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले कुछ अन्य बिंदुओं से सैनिकों की वापसी जल्द से जल्द पूरी होनी चाहिए।
वहीं दूसरी तरफ, चीन ने मंगलवार को कहा कि भारत के साथ सीमा समस्या को द्विपक्षीय संबंधों में उचित स्थिति में रखा जाना चाहिए। इसके साथ ही दोनों देशों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मतभेद विवादों में न बढ़ें। चीनी विदेश मंत्रालय ने बताया कि बीजिंग को उम्मीद है कि नई दिल्ली द्विपक्षीय संबंधों के समग्र हितों की रक्षा के लिए मिलकर काम करेगी। भारत के चीनी उत्पादों पर निर्भरता में कटौती के कदम उठाने के संदर्भ में एक टिप्पणी मंत्रालय ने कहा कि कृत्रिम रूप से दोनों देशों के बीच व्यापार में सहयोग को नुकसान पहुंचाना भारत के लक्ष्य की पूर्ति नहीं करता है।
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