हमारी मान्यता में क्यों नहीं होता है बेटियों का कोई गोत्र?

वैदिक गोत्र प्रणाली से यह बात स्पष्ट है कि यह उत्तर वैदिक काल से ही हमारी परम्परा और प्रणाली में विकसित एक अत्यंत ही वैज्ञानिक और प्रचलित चीज़ रही है, जो आज तक अपने उसी रूप में हमारा हिस्सा बनी हुयी है। वैदिक गोत्र प्रणाली यह कहती है कि बेटियों का कोई गोत्र नहीं होता है। बेटी का गोत्र पति का ही गोत्र होता है, न की पिता का। इसका एक बड़ा वैज्ञानिक आधार है। जी हाँ, आप गुणसूत्र या क्रोमोसोम के नाम से तो परिचित होगे ही। ये दो प्रकार के होते है X और Y, अब एक बात ध्यान दें कि स्त्री में गुणसूत्र xx होते हैं और पुरुष में xy होते हैं।
इन गुणसूत्रों की सन्तति में फर्ज कीजिये कि पुत्र (xy गुणसूत्र) हुआ तो इस पुत्र (xy गुणसूत्र) में y गुणसूत्र पिता से ही आता है। वास्तव में यह तो निश्चित ही है, क्योंकि माता में तो y गुणसूत्र होता ही नहीं है। इसके अलावा यदि पुत्री (xx गुणसूत्र) हुई तो यह गुणसूत्र पुत्री में माता व् पिता दोनों से आते हैं। xx गुणसूत्र अर्थात् पुत्री xx गुणसूत्र के जोड़े में एक x गुणसूत्र पिता से तथा दूसरा x गुणसूत्र माता से आता है। इन दोनों गुणसूत्रों का संयोग एक गांठ सी रचना बना लेता है, जिसे Crossover कहा जाता है।
xy गुणसूत्र अर्थात् पुत्र में y गुणसूत्र केवल पिता से ही आना संभव है, क्योंकि माता में y गुणसूत्र है ही नहीं और दोनों गुणसूत्र असमान होने के कारम पूर्ण Crossover नही होता केवल 5 फीसदी तक ही होता है। 95 फीसदी y गुणसूत्र ज्यों का त्यों ही रहता है। ऐसे में तो महत्त्वपूर्ण y गुणसूत्र ही हुआ, क्योंकि y गुणसूत्र के विषय में हम निश्चिंत हैं कि यह पुत्र में केवल पिता से ही आया है। बस इसी y गुणसूत्र का पता लगाना ही गोत्र प्रणाली का एकमात्र उदेश्य है जो हजारों-लाखों वर्षों पूर्व हमारे ऋषियों ने जान लिया था।

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