भारत में आज भी क्यों बरकरार है धोती का महत्व, जानिए रोचक जानकारियाँ

भारत में धोती या कहें कि लुंगी का चलन हर जगह है। इसकी अपनी अद्भुत ख़ूबियाँ होती हैं। सदियों से प्रचलन में चली आ रही इस धोती का आज इक्कीसवीं सदी में भी उतना ही महत्व बरक़रार है, जितना की पहले होता था। इसके अनेक कारम है, जिससे इसकी महत्ता बनी हुयी है। वास्तव में धोती या लुंगा एक ऐसा कपड़ा होता है, जो बिना सिला हुआ होता और उपयोगिता के मामले में इसका कोई भी तोड़ नहीं है या यूँ कहें कि कोई भी कपड़ा दूर-दूर तक इसके लाभ को छू नहीं पाता है। आइए आज हम आपको धोती के महत्व के बारे में बताते हैं, जिसमें हम यह भी जानेंगे कि भारत के अलग-अलग हिस्सों में धोती कैसे बाँधी जाती है।
जी हाँ, धोती को यदि आप चाहें तो कई तरीक़ों से पहन सकते हैं और भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरह से पहनी भी जाती है। अकेले उत्तर भारत में ही इसे कई तरीक़ों मसलन एक काँछ की धोती, दो काँछ की धोती और बिना काँछ की धोती आदि तरीक़ों से जानते हैं। धोती को बाँधना हो तो आप असमियाँ, बंगाली, गुजराती, मद्रासी और उत्तरी तरीक़े से बाँधा जा सकता है।
वास्तव में धोती भारतीय सस्कृति की सबसे जीवंत निसानी है, जिसको देखकर आप यक़ीन से कह सकते हैं कि ये आदमी पक्का भारतीय है, इसके अलावा आप पैंट-शर्ट में लोगों की भौगोलिकता और नागरिकता का एकदम सही-सही अंदाज़ा नहीं लगा सकते हैं कि कोई जर्मनी का है कि इटली का है, रूस का है कि यूक्रेन का है, फिलिस्तीन का है कि इज़राइल का है या फिर अमेरिका का है या कनाडा का।
इतना ही नहीं, धोती या लुंगी की उपयोगिता भी कमाल की होता है। फ़र्ज़ कीजिये कि आप बाज़ार से चले जा रहे हैं और आपको कोई सब्ज़ी दिख गयी तो आप अपनी धोती में ही उसे टाँगे ला सकते हैं। गाँवों में धोती के एक हिस्से में लोग पसेरी धान्य भरकर ले आते हैं। ये सब कमाल पैण्ट के साथ नहीं है। इसके अलावा धोती पहनने में सबसे अधिक कंफ़र्ट और टिकाऊ भी होती है। इसीलिए इसकी परंपरा आज भी हमारे देश में बरक़रार है।

आपको ये पोस्ट कैसी लगी नीचे कमेंट करके अवश्य बताइए। इस पोस्ट को शेयर करें और ऐसी ही जानकारी पड़ते रहने के लिए आप बॉलीकॉर्न.कॉम (bollyycorn.com) के सोशल मीडिया फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम पेज को फॉलो करें।

0/Post a Comment/Comments