यूपी में लॉकडाउन ही बेहतर विकल्प, चयनित तरीके से सबकुछ बंद करने पर विचार करे सरकार


उत्तर प्रदेश में जिस तरह से कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी बढ़ता जा रहा है वह स्थिति के और भयावह होने के संकेत हैं। कहने में प्रदेश अनलॉक की तरफ बढ़ रहा है लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के चलते संक्रमण के मामले बेकाबू होते जा रहे हैं। ऐसे में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोरोना संक्रमण और इससे होने वाली मौतों की संख्या में लगातार हो रही वृद्धि पर चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि सरकार ने रोडमैप पेश कर संक्रमण रोकने के कदम उठाने का भरोसा तो दिया। लेकिन जिला प्रशासन बिना जरूरी काम के सड़क पर निकलने वालों, चाय-पान की दुकान पर एकत्रित होने वालों को नियंत्रित करने में नाकाम रहा है। बिना मास्क के घूमने वालों व सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन न करने वालों पर जुर्माना लगाया व चालान काटा फिर भी लोग में इसका असर नहीं दिख रहा है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को संक्रमण का फैलाव रोकने के लिए ठोस कदम उठाने के सुझाव दिए हैं।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तमाम उपायों के बावजूद कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सुझाव दिया है कि लॉकडाउन से कम कोई उपाय कोरोना के फैलाव को रोकने में कारगर साबित नहीं होगा। इसके लिए हमें चयनित तरीके से सबकुछ पुन: एक बार बंद करना होगा, जिससे बेवजह बाहर निकलने वाले लोगों को उनके घरों के रहने के लिए मजबूर किया जा सके। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा एवं न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश क्वारंटीन सेंटरों व अस्पतालों की हालत सुधारने की जनहित याचिका पर सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि हर गली में पुलिस पेट्रोलिंग संभव नहीं है। बेहतर होगा कि लोग खुद ही घरों में रहें। बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलें।

हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव को रोड मैप व कार्रवाई रिपोर्ट के साथ 28 अगस्त को हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। इतना ही नहीं कोर्ट ने पूछा है कि लॉकडाउन के बाद अनलॉक में अर्थ व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए तथा कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने का कोई एक्शन प्लान तैयार किया गया था या नहीं। यदि प्लान तैयार किया गया था तो उसे ठीक से लागू क्यों नहीं किया गया। कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि सरकार की तरफ से बार—बार जारी निर्देशों से साफ है कि कोई केंद्रीय योजना नहीं थी। इतना ही नहीं कोर्ट ने मुख्य सचिव से यह भी पूछा है कि एक्शन प्लान लागू करने में नाकाम अधिकारियों के खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई की गई।

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