मिसालः प्रकृति प्रेम के चलते अपने बेटे की कुर्बानी देने वाले प्रसन्नपुरी गोस्वामी

प्रकृति से किसी को कितना प्रेम हो सकता है, इसके परास के उच्चम बिन्दु पर अगर किसी का नाम दर्ज़ हो सकता है तो वह प्रसन्नपुरी गोस्वामी का ही हो सकता है, जिन्होंने प्रकृति की रखवाली, उसकी सेवा आदि के लिए अपना एक बेटा तक खो दिया है और 72 वर्ष की अवस्था में भी वह प्रकृति को सहलाने, उसे दुलारने और उनकी सेवा आदि के लिए वह आज बी इस उम्र में पहाड़ी पर रोज़ाना चढ़ने से गुरेज नहीं खाते हैं। वास्तव में प्रसन्नपुरी गोस्वामी हमारे समाज के लिए और पर्यावरण को समझने व सहेजने के लिए एक जीती जागती मिसाल हैं।
जी हाँ, आपको बता दें कि प्रसन्नपुरी गोस्वामी ने राजस्थान के जोधपुर-मारवाड़ सरीखे सूखे और रेतीले इलाक़े में हरियाली लाने का काम किया है, जहाँ किसी के लिए भी कोई भी पौधा रोपना तो क्या बीज टिकाना भी बेहद चुननौत भरा काम है। यहीं संत चिड़ियानाथ की पहाड़ी पर प्रसिद्ध मेहरानगढ़ दुर्ग है, जिसके पास जसवंतथड़े की घाटी है। इसी घाटी के पास खेजड़ी चौक में प्रसन्नपुरी गोस्वामी का घर है। इसी नंगी घाटी पर शून्यता देखकर प्रसन्नपुरी गोस्वामी ने तय किया कि वह प्रकृति की हरियाली चूनर इसे ओढ़ाएँगे और फिर इन्होंने वहाँ पौधे लगाने शुरू कर दिये।
ज़ाहिर है कि प्रसन्नपुरी गोस्वामी के लिए यह काम बड़ा चुनौतीपूर्ण था। इसलिए उनके जानने वाले लोग और तमाम जन उनके इस काम का मज़ाक उड़ाया करते थे, लेकिन बाद में कई दोस्तों ने उनका जमकर साथ भी दिया और पेड़ लगाने में मदद भी की। प्रसन्नपुरी गोस्वामी को सबसे बड़ी समस्या इन पौधों को पानी पिलाने में होती, जबकि यहाँ इंसानों के लिए पानी की व्यवस्था काफी दुर्लभ है। ऐसे ही एक बार इनका ट्रांसफर जालौर हो गया, जिसके चलते इन्होंने अपने छोटे बेटे प्रमोदपुरी को पौधों की सिचाई की काम दे दिया। एक दिन पहाड़ी पर सिंचाई कर रहे प्रमोद पहाड़ी पर उल्टी दिशा में दवा का छिड़काव करे लगे तो हानिकारक रसायन उनकी नाक में चली गयी, जिससेउनकी मृत्यु हो गयी।
हिम्मत की बात यह है कि बिना पहाड़ी के प्रति कुछ सोचे प्रसन्नपुरी गोस्वामी अपने निश्चय पर डटे रहे और बेटे की मृत्यु से बिना घबराये वो आज 72 वर्ष की अवस्था में बी पहाड़ी पर चढ़कर पौधों को पानी देते हैं। इसी का परिणाम है कि अब 22 हेक्टेयर से भी अधिक नंगी पहाड़ी पर हरियाली की चूनर बिछ गयी है। वास्तव में प्रसन्नपुरी गोस्वामी एक बड़ी मिसाल और दूसरों के लिए एक जीती-जागती प्रेरणा हैं।

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