अगर आप भी करना चाहते हैं ये नया बिजनेस शुरू..तो मोदी सरकार भी करेगी पूरा सहयोग


देशभर में कोरोना काल चल रहा है, ऐसे माहौल में हर किसी का व्यापार ठप पड़ चुका है। चूंकि कोरोना के चलते लागू हुए लॉकडाउन का असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा, जिससे न जाने कितने सेक्टरों में बेरोजगारी का आलम देखा गया। इस बीच अगर आप किसी नए बिजनेस की तलाश में जुटे हैं, तो उसमें सरकार भी आपकी मदद करेगी। दरअसल कोरोना काल में लोगों के पास रोजगार से लेकर पैसों तक की कमी है, ऐसे में अगर आप किसी नए बिजनेस के जरिए कमाई करने की योजना बना रहे हैं, तो आपके इस काम में सरकार भी मदद करने के लिए तैयार है। बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार की अपनी एक योजना पर अमल करती है तो आने वाले समय में कुल्हड़ की मांग और भी तेजी से बढ़ेगी। भारत में एक बड़ी आबादी चाय की शौकीन है. लोगों एक वक्त खाने के बिना रह सकते हैं, लेकिन चाय उनके जीवन का हिस्सा बन गया है। रेलवे स्टेशनों, बस डिपो और हवाईअड्डों पर कुल्हड़ की चाय की मांग तेजी से बढ़ रही है।ऐसे में आप कुल्हड़ बनाने और बेचने का बिजनेस शुरू कर रहे हैं तो सरकार आपका पूरा सहयोग करने के लिए तैयार है।

हाल ही में सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कुल्हड़ को बढ़ावा देने के लिए प्लास्टिक व कागज के कप में चाय बेचे जाने पर रोक लगाने की मांग की है. केंद्र सरकार का कहना है कि भारत में प्लास्टिक को बैन करने को लेकर बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जा रहा है।

वहीं मोदी सरकार ने कुल्हड़ बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए कुम्हार सशक्तीकरण योजना को लागू किया है. इस योजना के तहत केंद्र सरकार देशभर के कुम्हारों को बिजली से चलने वाली चाक देती है तो वो इससे कुल्हड़ समेत मिट्टी के बर्तन बना सकें. बाद में सरकार कुम्हारों से इन कुल्हड़ को अच्छी कीमत पर खरीद लेती है. ऐसे में आने वाले समय में कुल्हड़ की मांग में इजाफे का फायदा उठा सकते हैं।

मौजूदा दौर को देखते हुए यह बिजनेस बेहद कम कीमत में शुरू किया जा सकता है. इसके लिए आपको थोड़ी सी जगह के साथ-साथ 5,000 रुपये की जरूरत होगी. खादी ग्रामोद्योग आयोग के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने जानकारी दी है कि इस साल सरकार ने 25 हजार इलेक्ट्रिक चाक वितरित किया है।

बता दें कि चाय का कुल्हड़ बेहद किफायती होने के साथ-साथ पर्यावरण के लिहाज से भी सुरक्षित होता है. मौजूदा दर की बात करें तो चाय के कुल्हड़ का भाव करीब 50 रुपये सैकड़ा है. इसी प्रकार लस्सी के कुल्हड़ की कीमत 150 रुपये

सैकड़ा, दूध के कुल्हड़ की कीमत 150 रुपये सैकड़ा और प्याली 100 रुपये सैकड़ा चल रही है. मांग बढ़ने पर इससे अच्छे रेट की भी संभावना है।

मालूम हो कि कुल्हड़ वाली चाय का अपना अलग ही क्रेज है, लोग बड़े चाव से कुल्हड़ वाली चाय को पीना पसंद करते हैं, अगर हम इसके रेट की बात करें तो एक चाय की कीमत 15 से 20 रुपए तक भी होती है। वहीं इस बिजनेस को सही तरीके से चलाया जाए तो कुल्हड़ बेचने पर 1 दिन में 1,000 रुपये के करीब बचत की जा सकती है. कुल्हड़ के इस

बिजनेस से देश को भी फायदा है क्योंकि एक तो इससे प्लास्टिक की बिक्री पर रोक लग सकेगी। दूसरा केंद्र के आत्मनिर्भर अभियान को बढ़ावा मिलेगा। बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने पिछले महीने ही देशवासियों से अपील की थी कि हमें आत्मनिर्भर अभियान की ओर बढ़ना है, भारत मेक इन इंडिया नहीं बल्कि मेक फॉर वर्ल्ड के नाम से पहचाना जाना चाहिए।

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