उत्तर प्रदेश की सियासत में हाशिए पर रहने वाला ब्राह्मण समाज इन दिनों सभी दलों के राजनीति का केंद्र बना हुआ है। ब्राह्मण मतदाताओं को रिझाने के लिए सभी दल राजनीतिक बिसात बिछाने शुरू कर दिए हैं। शायद यही वजह है कि इस समय यूपी में अंबेडकर, डॉ. राममनोहर लोहिया, गौतम बुद्ध के बाद भगवान परशुराम सभी दलों के आस्था के केंद्र बन गए हैं। इन दिनों प्रदेश में योगी सरकार से ब्राह्मण समाज के अधिकत्तर लोग नाराज चल रहे हैं। इसका कारण भी है प्रदेश में अधिकत्तर आपराधिक घटनाओं के शिकार ब्राह्मण परिवार ही हुए हैं। इतना ही नहीं ब्राह्मणों के प्रति योगी सरकार का जो नजरिया है वह निराश करने वाला है। खैर ब्राह्मण मतदातों की नाराजगी व विपक्षी दलों की चाल को देखकर भाजपा दबाव में आ गई है।
भाजपा भी डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश में लग गई है और इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और सुनील बंसल की टीम लग गई है। ब्राह्मण समाज के लोगों के सामने भी दुबिधा की स्थिति है। क्योंकि अन्य समाज के लोगों की तरह इन्हें आज तक किसी पार्टी ने केंद्र में नहीं रखा। सच तो यह है कि जो दल आज परशुराम के नाम पर ब्राह्मणों को रिझाने में लगे हैं एक दौर था इसी दल के लोग ब्राह्मणों को अपमानित कर वोट हासिल करने का काम किया था। ‘तिलक तराजू और तलवार इनको मारो जूते चार’, ‘मिले मुलायम कांशीराम हवा हो गए जय श्रीराम’ जैसे नारे दिए गए। कहा गया है कि नेता बहुत बड़े मौसम वैज्ञानिक होते हैं। वह राजनीतिक माहौल को बड़े बारीकी से समझ जाते हैं और उसी हिसाब से सियासी गोट बिछानी शुरू कर देते हैं। उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार से ब्राह्मणों की नाराजगी का फायदा सभी दल उठाने में लगे हुए हैं। यही कारण है कि इन दिनों यूपी की सियासत में ब्राह्मण मुद्दा बन गया है।
भाजपा के ही एक नेता का मानना है कि लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, बनारस, गोरखपुर मंडल में ब्राह्मण चिंतित नजर आ रहे हैं, लेकिन समय के साथ सब सही हो जाएगा। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि सूबे में ठाकुरों के बढ़ते वर्चस्व, महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती, ब्राह्मण और ठाकुर के बीच में वर्चस्व की बात को लेकर यह स्थिति बनी हुई है। भदोही के ज्ञानपुर के विधायक विजय मिश्र पर कानूनी कार्रवाई के बाद ब्राह्मणों में सरकार के प्रति नाराजगी काफी बढ़ गई है। वहीं भाजपा के कई ब्राह्मण नेताओं ने विधायक विजय मिश्रा के खिलाफ तेजी से मोर्चा खोला, जिससे ब्राह्मणों के बीच विजय मिश्र को लेकर गलत संदेश न जाने पाए।
फिलहाल यूपी की सियासत में इस समय ब्राह्मण केंद्र बिंदु बना हुआ है। दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक के नाम पर सियासत करने वाले अब ब्राह्मणों को अपना सियासी मोहरा बनाने में लगे हुए है। जानकारों की मानें तो यूपी में 12 प्रतिशत से ज्यादा ब्राह्मण मतदाता हैं। लेकिन अन्य जातियों की तरह इनका वोट एक तरफा नहीं पड़ता। हाल के दिनों में स्थितियां बदली हैं। हाल की घटनाओं को देखते हुए ब्राह्मण समाज के तरफ से भी एकजुट होने का प्रयास हो रहा है। राजनीतिक दल इस बात को बाखूबी समझ रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगी कि ब्राह्मण रूपी लहलहा रही फसल को काटने में किस दल को सफलता मिलेगी?
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