रक्षाबंधन विशेषः पुराणों के अनुसार जानिए क्या कहती हैं रक्षाबंधन की कथाएँ

रक्षाबंधन का त्यौहार सावन महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह गुरुवार को मानाया जायेगा। भगवत पुराण और विष्णु पुराण में ऐसा बताया गया है कि बलि नाम के राजा ने भगवान विष्णु से उनके महल में रहने का आग्रह किया। भगवान विष्णु इस आग्रह को मान गए और राजा बलि के साथ रहने लगे। मां लक्ष्मी ने भगवान विष्णु के साथ वैकुण्ठ जाने का निश्चय किया। उन्होंने राजा बलि को रक्षा धागा बांधकर भाई बना लिया।
राजा ने लक्ष्मी जी से कहा कि आप मनचाहा उपहार मांगें। इस पर मां लक्ष्मी ने राजा बलि से कहा कि वह भगवान विष्णु को अपने वचन से मुक्त कर दें और भगवान विष्णु को माता के साथ जानें दें। इस पर बलि ने कहा कि मैंने आपको अपनी बहन के रूप में स्वीकार किया है इसलिए आपने जो भी इच्छा व्यक्त की है, उसे मैं जरूर पूरी करूंगा।
राजा बलि ने भगवान विष्णु को अपनी वचन बंधन से मुक्त कर दिया और उन्हें मां लक्ष्मी के साथ जाने दिया। स्कन्द पुराण और पद्म पुराण में लक्ष्मी जी ने दानवेन्द्र बली को राखी बांध कर अपनी पति विष्णु जी को पाताल लोक से छुड़ा लायी थी। एक लोककथा के अनुसार मृत्यु के देवता यम ने करीब 12 वर्षों तक अपने बहन यमुना के पास नहीं गए, इस पर यमुना को काफी दुःख पहुंची।
बाद में गंगा माता के परामर्श पर यम जी ने अपने बहन के पास जाने का निश्चय किया। अपने भाई के आने से यमुना को काफी खुशी प्राप्त हुई और उन्होंने यम भाई का काफी ख्याल रखा। इस पर यम काफी प्रसन्न हो गए और कहा की यमुना तुम्हे क्या चाहिए। जिस पर उन्होंने कहा की मुझे आपसे बार-बार मिलना है। जिस पर यम ने उनकी इच्छा को पूर्ण भी कर दिया। इससे यमुना हमेशा के लिए अमर हो गयी।

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