एक साल में बदल गया कश्मीर, आतंकी संगठनों को नहीं मिल रहा कोई बंदूक उठाने वाला

जम्मू कश्मीर से धारा 370 खत्म होने के बाद आतंकवाद में काफी कमी आई है। घाटी में युवाओं भड़काने में लगे अलगाववादी नेताओं को पाकिस्तान से कोई मदद नहीं मिल पा रही हैं। जिसकी वजह हताश नेता अब खुद रोजगार की तलाश में है क्यों कि राज्य में जिस रफ़्तार से सेना आतंकियों का सफाया कर रही है उसका खौफ इतना है कि अब कोई भी आतंकवाद के रास्ते पर चलना ही नहीं चाहता है। कश्मीर के युवा अब अपने बेहतर भविष्य के लिए पढ़ाई और रोजगार पर ध्यान दे रहे हैं। पिछले एक वर्ष में कश्मीर में कई आतंकी संगठनों के 180 से अधिक आतंकी ढ़ेर किये जा चुके हैं। पाकिस्तान की शह घाटी में पनप रहे आतंकियों को जमीन कम पड़ रही है भगाने के लिए क्यों कि सेना के जवान उनकी तलाश में लगातार अभियान चला रहे है जिससे जल्द से जल्द घाटी को आतंक मुक्त बनाया जा सके। वहीं पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के मुखिया में हताश हो चुके हैं।

हिजबुल मुजाहिदीन के कुख्यात दहशतगर्द रियाज नायकू को पुलवामा में सेना ने मुठभेड़ के बाद मार गिराया था जो भारतीय सुरक्षाबलों की बड़ी कामयाबी है। जिसके बाद जो सिलसिला आतंकियों को ढ़ेर करने का शुरू हुआ जिसमे रियाज नायकू के खास और अलगाववादी अशरफ सेहरई के बेटे जुनैद सेहरई सहित हिजबुल के कई बड़े आतंकी उमर फय्याज, जहांगीर, वसीम अहमद वानी और मसूद भट को भी सेना ने मार गिराया। भारतीय सुरक्षाबलों ने बीते एक वर्ष में कई बड़े आतंकी संगठनों के बड़े आतंकी को ढ़ेर किया है जिसकी वजह अब सेना के खिलाफ हथियार उठाने वाले भी अब बचे नहीं है।

लश्कर-ए-ताइबा के बशीर कोका, हैदर, इशफाक रशीद, आतंकी संगठन अंसार गजवा तुल हिंद के बुरहान कोका, पाकिस्तानी आईईडी एक्सपर्ट अबू रहमान और जैश-ए-मोहम्मद के सज्जाद अहमद डार, सज्जाद नवाबी, कारी यासिर सेना ने मार गिराया वहीं 25 बड़े आतंकियों के साथ 300 से ज्यादा उनके मददगारों को भी गिरफ्तार किया गया है। जिसकी वजह से ही घाटी के रौनक लौट आई है। वर्ष 2019 में घाटी में 188 आतंकी वारदातें हुई, वहीं वर्ष 2020 में वारदातें हुई। 2019 में 51 ग्रेनेड हमलें हुए तो वहीं 2020 में 21 ग्रेनेड हमले हुए।

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