प्रेरणाः मुथावन आदिवासियों के लिए घने जंगल में विशेष तरह का पुस्तकालय खोलने वाले पीवी चिन्नातम्बी

पीवी चिन्नातम्बी केरल के रहने वाले हैं और एक चाय की दुकान चलाते हैं। वे अभी 73 साल के हो गये हैं। ख़ैर, आपने ये तो सुना ही होगा या फिर आपको पहले से पता होगा कि बारत का सबसे शि7त राज्य केरल है। लेकिन वह ऐसा क्यों है इस बात को क़रीब से कभी महसूस करने का मौक़ा सायद हममे से बहुत ही कम लोगों को हुआ होगा। ज़ाहिर तौर पर ऐसा अनुभव हुआ हो या नही, लेकिन पीवी चिन्नातम्बी का ये दिलचस्प और प्रेरमादायक कहानी आज आपको इसका एहसास ज़रूर करा देगी।
जी हाँ, आपको बता दें कि केरल के इडुक्की ज़िले में मौजूद दूरस्थ पंचायतों में से एक में पीवी चिन्नातम्बी ने एक अद्भुत और निराला पुस्तकालय खोल रखा है। पीवी चिन्नातम्बी के इस ख़ास पुस्तकालय में सिर्फ़ रोमांचक, बेस्ट सेलर और लोक लुभावन पुस्तकें ही नहीं शामिल हैं, बल्कि इनके पास तमिल महाकाव्य ‘सिलापट्टीकरम’ का मलयालम अनुवाद भी उपलब्ध है। इसके अलावा पीवी चिन्नातम्बी ने महात्मा गाँधी, वाईकोम मुहम्मद बशीर, एमटी वासुदेवन नायर और ललिताम्बिका अनंतराजनम आदि की पुस्तकें शामिल हैं, जिन्हें पढ़कर यहाँ के आदिवासी लोगों को अच्छी जानकारी मिलती है।
आपको बता दें कि पीवी चिन्नातम्बी ने ख़ास पुस्तकालय यहाँ निवास करने वाले मुथावन आदिवासियों के लिए खोला है, जो कि एक घने जंगल में ही यानी कि आदिवासियों की उपलब्धता में है। आपको बता दें कि यहाँ तक आने के लिए केरल के मुन्नार के नज़दीक पेट्टीमुड़ी से लगभग 18 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है। ऐसे में पीवी चिन्नातम्बी का ये काम यक़ीनन एक अच्छी मिसाल है, जिससे सबको प्ररेणा लेने की ज़रूरत है।

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