मंदोदरी ने आखिर क्यों किया देवर विभीषण से दूसरा विवाह, जानिये पूरी कहानी

 

मंदोदरी और विभीषण की कहानी

रामायण का नाम आते ही हमें भगवन राम याद आते हैं माता सीता याद आती हैं, बजरंग बली हनुमान भी याद आते हैं, रावण भी याद आता है, रावण के बिना रामायण अधूरी हैं लेकिन एक ऐसा पात्र भी हैं जिसको सब भूल जाते हैं वो हैं रावण की पत्नी मंदोदरी| मंदोदरी को जब भी कोई याद करता हैं तो ये ही सोचता होगा की वो रावण की पत्नी, लंका की पटरानी और जिस तरीके से वो लंका का दर्पण हमारे सामने आता हैं सबके दिमाग में यही चलता होगा के मंदोदरी तो बड़े ऐशो आराम से रहती होगी| मंदोदरी आखिर थी कौन , कहाँ से आयी, विभीषण से शादी हुई थी क्या आप ये कहानी जानते हैं अगर नहीं जानते हैं तो हम बताएँगे की किस वजह से मंदोदरी ने विभीषण से शादी की और रावण ने किस तरीके से मंदोदरी को हथियाया|

मंदोदरी नाम जैसे ही आता हैं हमारे जहाँ में एक ऐसी तस्वीर उभर आती हैं जिसके चरणों में दुनियां के हर ऐशो आराम थे| एक अप्सरा की पुत्री जो अत्यधिक खूबसूरत और आकर्षक, एक समर्पित रानी जो असुर सम्राट रावण की पत्नी हैं| सोने की लंका की महारानी मंदोदरी रामायण की कहानी का एक पात्र जिसे ठीक से समझा ही नहीं गया| उनकी पहचान हमेशा लंका पति रावण की पत्नी तक सीमित रह गई और रावण की मृत्यु के बाद उनका अध्याय जैसे समाप्त ही हो गया|विभीषण

मंदोदरी का जन्म

मंदोदरी का जन्म और उसके परिवार के बारे में हम आपको बताते हैं| हिन्दू पुराणों में एक कहानी दर्ज हैं जिसके अनुसार मथुरा नाम की एक राक्षसी कैलाश पर्वत पर गई| कैलाश पर्वत पर भगवान शिव धुनि रवाएँ बैठे थे उन्होंने राख से अपने आपको लपेट रखा था माता पार्वती जी वहां पर नहीं थी इस अवसर का फायदा उठाकर मथुरा राक्षसी उनकी तरह आकर्षित हो गई और भगवान शिव को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए कई तरीके अपनाये उनके सामने नृत्य किया उनको रिझाने का प्रयास करने लगी| उसी समय पर माता पार्वती वहां पर आ गई माता पार्वती ने देखा के मथुरा नाम की एक राक्षसी भगवान शिव को रिझाने के लिए नृत्य कर रही हैं और उनका ध्यान भांग कर रही हैं और भगवान शिव के शरीर की भस्म को अपने शरीर पर मल रखी हैं इसको देखकर माता पार्वती को गुस्से में आ गई उन्होंने उस राक्षसी को श्राप दे दिया|श्राप में उन्होंने उसे मेंढक बन जाए और १२ साल तक वहीँ एक ही कुए में रहे| ये सुनने के के बाद उस राक्षसी को होश आया उसने माता पार्वती से मांफी मांगी तक माता पार्वती ने कहा अगर तुम भगवान शिव की आराधना करो तो ये पाप कुछ कम हो सकता है और एक साल बाद अपने इसी रूप में आ जाओगी| मथुरा राक्षसी ने 12 साल तक तप करना शुरू कर दिया|

विभीषण

मथुरा राक्षसी, मंदोदरी कैसे बनी?

असुरों के देवता मयासुर और उनकी पत्नी अप्सरा हेमा के दो पुत्र थी लेकिन वो चाहते थे की उनकी एक पुत्री भी हो इसी इच्छा को पूर्ण करने के लिये दोनों ने कठोर तपस्या करनी शुरू कर दी ताकि भगवान उनसे प्रसन्न होकर उन्हें एक पुत्री दे दें उसी बीच मथुरा की कठोर तपस्या के 12 साल भी पूर्ण हो गए जैसे ही मथुरा के १२ साल पूर्ण हुए वो अपने वास्तविक रूप में आ गई और उसी कुएं से रोने की आवाज आनी शुरू हो गई इसी कुएं के किनारे असुरों के देवता मयासुर और उनकी पत्नी तपस्या कर रही थे जब मथुरा के रोने की आवाज उनके कानों में पड़ी तो उन्होंने मथुरा को कुएं से बाहर निकाला और उसे अपनी बेटी के रूप में स्वीकार कर लिए और उसका नाम मंदोदरी रख दिया| इस प्रकार मथुरा ही मंदोदरी बन गई|

रावण और मंदोदरी की शादी

रावण जो की लंका पति थे वो असुरों के राजा मायासुर से मिलने गए वहां पर उन्होंने उनकी पुत्री मंदोदरी को देखा और उस पर मोहित हो गए अपने विवाह का प्रस्ताव मायासुर के समक्ष रख दिया लेकिन मायासुर ने मना कर दिया| रावण जो की बहुत बलशाली था उसने उनको युद्ध के लिए ललकार दिया और बल पूर्वक मंदोदरी से शादी कर ली | जबरन शादी में मंदोदरी की भी हाँ रही क्योंकि वो जानती थी की राक्षस राज रावण अपने कर्मों की वजह से विनाश की ओर बढ़ रहा है लेकिन फिर भी उनके माता पिता और प्रजा को बचाने के लिए मंदोदरी ने रावण से शादी कर ली| रावण से शादी के बाद जब वो लंका पहुंची तो वहां पर भी उन्होंने भगवान राम और सीता के अपहरण पर रावण बहुत समझाया की वो माता सीता को भगवान श्री राम के हवाले कर दे लेकिन रावण नहीं माना| मंदोदरी के तीन पुत्र थे मेघनाद, अधिपाद और अक्षय| अक्षय को हनुमान जी अशोक वाटिका में ही मार दिया था, मेघनाद भी मृत्यु को प्राप्त हुए| अधिपाद भी मृत्यु को प्राप्त हुए लेकिन रावण जब आखिरी बार भगवान राम से लड़ने के लिए गया तो मंदोदरी ने ये कामना की कि वो जिन्दा वापस आये और फिर से उसे समझाया कि माता सीता को वो भगवान राम के हवाले कर दे लेकिन रावण नहीं माना और वह मृत्यु को प्राप्त हुआ|विभीषण

ऐसे हुआ मंदोदरी का विभीषण से दूसरा विवाह

रावण की मृत्यु के पश्चात् मंदोदरी खुद उस स्थान पर गई जहाँ पर रावण का वध हुआ था| रावण के शव के पास वह पहुंची तो वहां लंका और लंका के लोगों को देखा सभी ओर रूदन देखकर वह बहुत दुखी हुई और वहीँ पर उन्होंने भगवान राम का अलौकिक रूप भी देखा| भगवान श्री राम ने मंदोदरी से कहा कि आप लंका का राजपाठ संभालें| चूंकि विभीषण को वह लंका का सम्राट बना चुके थे इसलिए उन्होंने अनुरोध किया के वो विभीषण से शादी कर लें लेकिन मंदोदरी ने ये फैसला तुरंत नहीं माना| वो वापस लंका में आई और अपने आपको उन्होंने एक कमरे में बंद कर लिया| बहुत दिनों तक उसी भवन में रहीं यहाँ तक कि उन्होंने न किसी से बात कि न किसी से मिली| उसके कुछ दिनों बाद उन्होंने फैसला लिया कि वो बाहर आएंगी और विभीषण से शादी करेंगी| और बाहर आने के बाद उन्होंने विभीषण से दूसरी शादी कर ली और और लंका को सही दिशा में ले जाने के लिए विभीषण के साथ मिलकर आगे काम किया|

ये पौराणिक कथाएं हैं इनमें कुछ त्रुटि हो सकती हैं अगर इस कहानी से किसी कि भावनाओं को व्यक्तिगत क्षति पहुंची हो तो हम क्षमा प्रार्थी हैं।

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