जगन्नाथ मन्दिर में क्यों वर्जित है ग़ैर-हिन्दुओं का प्रवेश?

जगन्नाथपुरी मन्दिर की भव्यता देश के अन्य मन्दिर में ऐसी है जिसकी भव्यता देखते ही बनती है। जी हाँ, आपको बता दें कि जगन्नाथपुरी मन्दिर की भव्यता ऐसी है कि इसकी भव्यता से वामपंथी विचारधारा वाले लोग भी ख़ाता मुतासिर रहते हैं, लेकिन वह इस मन्दिर की एक विशेषता के कारण ख़ासा नाराज़ रहते हैं और वह है इस मन्दिर में गैर-हिन्दुओं के प्रवेश की विषेधता। जी हाँ, आपको बता दें कि जगन्नाथपुरी मन्दिर में गैर हिन्दुओं की प्रवेश वर्जित है और ऐसा क्यों है इसी बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं, लेकिन इससे पहले यह जान लें कि असल में ग़ैर हिन्दू शब्द का आशय उन लोगों से होता है, जो हिन्दू धर्म की आस्था और परंपरा पर विश्वास नहीं करते हैं।
मालूम हो कि जगन्नाथपुरी मन्दिर अपने अतीत में महज एक मन्दिर ही नहीं था बल्कि ये तो ज्ञान और बुद्धिमत्ता के स्रोत भी थे। इस मन्दिरों में गुरुकुल जैसी संस्था भी थी, जहाँ विद्वान लोग बुद्धिमत्ता की बातें और तर्क-वितर्क में हिस्सा लिया करते थे। लेकिन कई गैर हिन्दू आताताइयों का यह क्रूर उद्देश्य हुआ कि वो इस मन्दिर की ऐसी अनोखी ज्ञान परम्परा को नष्ट कर देंगे, जो सनातन धर्म और ज्ञान का स्रोत है। इसीलिए मुस्लिम आक्रमणकारियों के द्वारा इस मन्दिर को नष्ट करे की कोशिस की गयी, हालाँक वो इस काम में पूरी तरह से सफ़ल नहीं हो सके।
ऐसे में इस बात की सावधानी बरतते हुए कि जगन्नाथपुरी मन्दिर की सदियों पुरानी थाती को फिर से कोई बुरी नज़र से न देखे इसलिए इस हिन्दू मन्दिर प्रशासन ने उन नियमों का बढञाते हुए आगे लाने की बात की जिससे ग़ैर हिन्दुओं की नज़र में यह फिर न आये। वैसे भी इस बात पर इतना विश्वास कैसे किया जा सकता है कि कोई भी ग़ैर हिन्दू जगन्नाथपुरी मन्दिर के बारे में अच्छा सोचेगा। यह एक स्वाभाविक तथ्य है कि यदि कोई भी व्यक्ति किसी चीज़ में श्रृद्धा और विश्वास नहीं करता है तो एक संभावना है कि उसके मन में उस चीज़ के प्रति सम्मान का भाव नहीं होगा।

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