चीन की विस्तारवादी नीति का शिकार हुआ नेपाल, ड्रैगन के बुने जाल में बुरे फंसे केपी ओली

कभी भारत के साथ रोटी बेटी का रिश्ता निभाने वाले नेपाल ने बीते दिनों चीन की शह पर भारत के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। नेपाल की अतिक्रमण की हद अब यहां तक पहुंच चुकी है कि वो भारत के हिस्से को भी अपने मानचित्र में शामिल कर उस पर अपना दावा ठोक कर रहा है। उधर, जानकारों का कहना है कि नेपाल का यह हालिया रूख चीन की शह का कारण है। नेपाल की मौजूदा सरकार भी चीन समर्थक मानी जाती है, लेकिन अब जो खबर सामने आई है, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि नेपाल चीन के ही बुने जाल में फंस गया है और तो और अपने इस कदम से चीन ने यह भी साबित कर दिया है कि वो किसी का भी सगा नहीं हो सकता।


हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं, चूंकि कल तक नेपाल के साथ अपनी दोस्ती निभाने वाले चीन ने नेपाल के ही जिलों पर दावा ठोक दिया है। चीन ने अपनी विस्तारवादी नीति के तहत नेपाल के दोलखा, गोरखा, दार्चुला, हुमला, सिधुपालचौक, संखुआसभा और रसूवा को अपना शिकार बनाया है। नेपाल के सर्वेक्षण और मानचित्र विभाग के मुताबिक, चीन दोखला स्थित अंतरराष्ट्रीय सीमा का 1.5 किमी हिस्सा हड़प चुका है। चीन ने नेपाल के कोलरांग स्थित सीमा पर अतिक्रमण किया है। बता दें कि यह वही इलाका है, जहां पर दोनों देशों के बीच विवाद चल रहा है। चीन लगातार नेपाल पर इसे सुलझाने की दिशा में दबाव बना रहा है।

नेपाल के गांवों पर भी किया कब्जा 
नेपाल के मानचित्र और सर्वेक्षण विभाग ने बताया कि चीन ने नेपाल के गांवों पर भी कब्जा कर लिया है। गोरखा और दार्चुला जिलों के गांवों में चीन ने अतिक्रमण किया है। चीन ने गोरखा जिले की सीमा पर पिलर नंबर 35, 37, और 38 को एक जगह से हटाकर दूसरी जगह कर दिया है। वहीं, चीन ने नेपाल के पिलर नंबर 62 को भी हड़प लिया है। बता दें कि इससे पहले चीन ने इस पूरे इलाके को हड़पते हुए तिब्बत के स्वायत्त क्षेत्र से जोड़ दिया था। हालांकि नेपाल के स्थानीय लोगों का कहना है कि यह उनका अपना स्थानीय इलाका है, जहां पर उन्हें पूर्ण अधिकार है। मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, दार्चुला के जियूजियू गांव का एक हिस्सा भी चीन ने अपने कब्जे में ले लिया है, जिसके चलते नेपाल के कई इलाके अब चीन के अतिक्रमण के भेंट चढ़ चुकी है।

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