मिसालः अपनी संतानों का तिरस्कार झेल रहे बुज़ुर्गों के जीवन में ख़ुशियाँ भरने वाले डॉ. उदय मोदी

मूलरूप से गुजरात के रहने वाले डॉ. उदय मोदी फिलहाल मुम्बई के भायंदर इलाक़े में रहते हैं और पेशे से आयुर्वेदिक डॉक्टर हैं। एक बार इनकी क्लीनिक पर एक बुज़ुर्ग आये और उनकी हालत देखकर ऐसा लग रहा था कि वह कई दिनों से भूखे हैं। डॉ. उदय मोदी ने ये भाँपते ही उनके लिए जूस और खाना मँगवाया। डॉक्टर के इस व्यवहार से वो बुज़ुर्ग भावुक होकर रोने लगे। डॉ. उदय मोदी के पूछने पर उन्होंने बताया कि उनका बेटा उन्हें व उनकी लकवाग्रस्त पत्नी को खाना नहीं देता है और उनके साथ ख़राब व्यवहार करता है, जिसके उनकी हालत मरने पर आ गयी है।
उस बुज़ुर्ग की बात सुनकर डॉ. उदय मोदी का मन भर आया और उन्होंने उस बुज़ुर्ग का पता लेकर उन्हें आश्वस्त किया कि वो घर जाएँ अब से रोज़ाना सुबह-शाम उनके लिए टिफिन आ जाया करेगा। डॉ. उदय मोदी शाम को जब अपने घर गये तो अपनी बीवी कल्पना से पूरी बात बताई। उनकी बीवी ने कहा कि ये सिर्फ़ एक बुज़पर्ग की कहानी नहीं होगी। ऐसे कई और बुज़ुर्ग मुम्बई में होंगे, आप जितने भी ऐसे बुज़ुर्गों को देखो मुझे बताओ मैं सबके लिए टिफिन तैयार कर दिया करुँगी।
पत्नी के ऐसे सहयोग से डॉ. उदय मोदी को और भी बल मिला। इसके बाद उन्होंने तय किया कि अब से वो ऐसे किसी बुज़ुर्ग को भूखा नहीं रहने देंगे, जिन्हें तिरस्कार का सामना करना पड़ रहा है। वे आख़िरी साँस तक उनका सहारा बनेंगे। उन्होंने इसके लिए पोस्टर छपवाकर पूरे इलाक़े में लगवा दिये, जिसके बाद क़रीब दो सौ से ज़्यादा से बुज़ुर्ग मिले जिन्हें भोजन की ज़रूरत थी।
आपको बता दें कि डॉ. उदय मोदी ने इन सभी के भोजन की व्यवस्था के लिए दो जनों को भोजन बनाने के काम पर लगा दिया और एक वैन ख़रीद ली, जिससे इन बुज़ुर्गो के घर पर ही ये समय से खाना भिजवाते हैं। अपनी इस सेवा का उन्होंने नाम दिया- श्रवण टिफ़िन सर्विस।
वास्तव में डॉ. उदय मोदी आधुनिक श्रवण कुमार ही हैं, जो अपनी संतानों का तिरस्कार झेल रहे बुज़ुर्गों के जीवन में ख़ुशियाँ और उमंग भरने का काम कर रहे हैं। यक़ीनन डॉ. उदय मोदी मानवता के लिए एक बड़ी मिसाल हैं।

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