गर्भासन योग शास्त्र का एक बहुत ही महत्वपूर्ण और लाभदायक मुद्र होती है। इसे हम पिंडासन या उत्तान कूर्मासन के नाम से भी जानते हैं। वैसे तो यह गर्भासन कई तरह से हमारे लिए लाभदायक होता है, लेकिन मानसिक बीमारियों में यह गर्भासन बहुत ही लाभदायक होता है। इससे दिमाग़ को बहुत ज़्यादा फ़ायदा पहुँचता है। मस्तिष्क को मिलने वाले फ़ायदों से इतर गर्भासन करने से घुटने और जोड़ों का दर्द भी दूर होता है तथा पाचन शक्ति को ब़ाने में भी बहुत फ़ायदा करता है।
दिलचस्प है कि त्रिदोष का शमन करने और तोंद निकलने से रोकने के लिए भी यह गर्भासन बहुत ही कारगर विकल्प के रूप में अपनाया जाता है, क्योंकि तोंद को आगे बढञने से रोकने के लिए यह उसका दुश्मन होता है। कुल मिलाकर यह आसन पूरे शरीर को संतुलित और आकर्षक बनाने में कारगर है। आपको बता दें कि इससे चेहरे का तेज़ भी बढ़ता है।
ऐसे करें अभ्यासः
सबसे पहले आप पद्मासन में बैठ जाएं। बांहों को प्रत्येक पांव की जांघों एवं पिंडलियों के बीच ऐसे ले जाएं कि कोहनियां मुड़ सकें। जांघों को उठाइए और कानों को अंगुलियों से पकड़िए। अपने हिसाब से आसन को धारण करें और फिर धीरे धीरे अपने आरंभिक अवस्था में आ जाएं। यह एक चक्र हुआ। इस तरह से आप इसको 3 से 5 बार करें।
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