उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद में वर्ष 2015 में अपने कई रिश्तेदारों को नियमों के विरुद्ध जाकर नियुक्त किए जाने के मामले की जांच में दोषी पाए गए परिषद के तत्कालीन महानिदेशक राजेन्द्र कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की योजना बन रही है। इस जानकारी को प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने साझा की है। गुरुवार 20 अगस्त के अंक में आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ ने इस भर्ती घोटाले की जांच में दोषी पाये गये तीन वैज्ञानिकों, नौ अफसरों समेत 19 लोगों को बर्खास्त किये जाने की खबर प्रकाशित की थी। शाही ने बताया कि तत्कालीन महानिदेशक राजेन्द्र कुमार को आरोप पत्र उपलब्ध करवा दिया गया है। आरोप पत्र पर वह जो जवाब देंगे उनका परीक्षण किया जायेगा, यदि जवाब संतोषजनक नहीं पाए गए तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई जाएगी। शाही ने आगे बताया कि इस मामले में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।
उन्होंने कहा कि भर्ती घोटाले में परिषद के तत्कालीन सचिव, वित्त नियंत्रक व अन्य जो भी लोग दोषी पाये गये हैं उनको कारण बताओ नोटिस जारी होगा। यदि इन लोगों के जवाब संतोषजनक नहीं मिले तो इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। ‘हिन्दुस्तान’ ने ही वर्ष 2015 में हुए इस भर्ती घोटाले का खुलासा किया था और उसके बाद वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश की नई सरकार के तत्कालीन प्रमुख सचिव विज्ञान व प्रोद्योगिकी हेमंत राव को जांच सौंपी थी। उन्होंने 2018 में जांच पूरी कर शासन को रिपोर्ट सौंपी थी। इस जांच रिपोर्ट में तत्कालीन महानिदेशक राजेन्द्र कुमार, सचिव इन्द्रनाथ मुखर्जी व सहायक निदेशक डा.संजीव कुमार समेत कुल 23 लोगों दोषी पाए गए थे। इनमें से 4 ने नौकरी छोड़ दी थी बाकी 19 को अब बर्खास्त किया है।
ऐसे हुआ था भर्ती घोटाला
कृषि मंत्री ने बताया कि प्रदेश में यूरिया व अन्य उर्वरकों का कोई परेशानी नहीं है। राज्य में यूरिया का पर्याप्त स्टाक उपलब्ध है और किसानों को उनकी मांग के मुताबिक यूरिया उपलब्ध करवाई जा रही है। इसके साथ ही जमाखेरी व कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी होगी।
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