कल तक जो रिपोर्टर अदालती रिपोर्टिंग करता था उसे राफेल विशेषज्ञ बनकर जो – तो बोल रहा है

हाँ तो मेहरबानो , कद्रदानों , नादानों ….. देखिए देखिए देखिए । बर्बादी का समंदर देखिए , दुश्मनों पर बवंडर देखिए , चीन का सरेंडर देखिए , पाकिस्तान का उभरा भगन्दर देखिए , राफेल ने पड़ोसियों को बना दिया चुकंदर देखिए । दुश्मनों की आबादी देखिए , जमीन पर उनकी बर्बादी देखिए , आसमान में दरदेसिताबी देखिए और पानी मे उनकी खाना खराबी देखिए ।

भारत के दस में आठ न्यूज़ चैनलों पर एंकर सह मदारी 24 -7 बन्दर नाच नचा रहे हैं । अपने इस खेल में वे बड़ी बड़ी मूंछो वाले फौजियों की एक फौज , तीन चार सर्वज्ञानी रिपोर्टर , और अब तो खूबसूरती का तड़का लगाने के लिए महिला विंग कमांडर की भीड़ बैठाए रहते हैं । फौजी और विंग कमांडर को रक्षा विशेषज्ञ बताया जाता है लेकिन इनसे भी जबर ज्ञानी दो या तीन रिपोर्टर जो कान में जनेऊ खोंसे खड़े रहते वो होते हैं । लेकिन इस समूह में सबसे बड़ा महाज्ञानी तो वह जमूरा एंकर होता है जिसे फिजिक्स भी पता है , संस्कृत का भी पंडित है , अर्थशास्त्री भी है और धुरंधर खिलाड़ी भी है , उसे राफेल की सभी तकनीक पता है।

वह यह भी बता सकता है धान की खेती में यूरिया से बढ़िया हाथी का गोबर क्यों होता है ? वह कवि वाचस्पति भी है और व्यापार में उतर गया तो अम्बानी भी । इन जमूरों का ग्रेडेशन का आधार है कि वे कितना चिल्लाते हैं , कितना ज्ञान बांटते हैं और दूसरों को बोलने कहकर बोलने नही देने की कलाकारी कितना कर पाते हैं । इनके पीछे कल्पनाकारियों की फौज होती है । राफेल नही सुदर्शन चक्र , राफेल नही ब्रह्मास्त्र या फिर पौराणिक अस्त्रों का नाम देकर ये अपनी काबिलियत साबित करते हैं। एक घण्टे के डिबेट काल मे ये चीन – पाकिस्तान को बर्बाद कर बीजिंग और इस्लामाबाद में तिरंगा लहरा देते हैं ।

हुजूर जमूरे ! राफेल भी मानव निर्मित लड़ाकू विमान है कोई आसमानी अस्त्र शस्त्र नही । इनके बिना भी हमारी सेना सर्वश्रेष्ठ है । देखा नही था खाली पैर मिल्खा सिंह ने बड़े बड़ो को पानी पिला दिया था । खटारा मिग लेके जांबाज अभिनन्दन ने पाकिस्तान का एफ 16 जमीदोंज कर दिया । ठीक है राफेल एक जबरदस्त लड़ाकू विमान है लेकिन उसकी खूबियां जिस तरह ये जमूरे बता रहे हैं उसे देखकर तो फ्रांस भी भौचक है कि उन्होंने जो विमान भारत को दिया उसमें ये नई नई विशेषताएं कहाँ से और कैसे आ गयी ? मदारी बने एंकर खुद नाच नाच कर बन्दर बने जा रहे हैं और आत्ममुग्ध हैं कि चीन और पाक को वे कैसे मुह की खिला रहे हैं । मुहँ की खिलाने वाले चुपचाप बॉर्डर पर रणनीति बना रहे हैं लेकिन जमूरों की आत्ममुग्धता तो देखिए , लगता है वे ही राफेल के खेवनहार और रणनीतिबाज हैं। मीडिया को बन्दरनाच का तमाशा बना दिया गया है । मुझे पता है कि कल तक जो रिपोर्टर अदालती रिपोर्टिंग करता था उसे राफेल विशेषज्ञ बनाकर जो – तो बुलवाया जा रहा है । टीवी डिबेट में जितनी भीड़ उतनी ही काबिलियत वाला चैनल । टीवी का एक स्क्रीन खोलिए उसके भीतर 17 विंडो । सभी विंडो में एक एक गरीब अपनी बारी आने तक बकलोली सुन रहा है। आपलोग नही सुधारियेगा तो यकीन मानिए इससे बेहतर हिंदी में डब की हुई दक्षिण की फिल्में ही हम देख लेंगे ।

(वरिष्ठ पत्रकार योगेश किसलय के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)

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