चीन के एक और बड़ा झटका देने की तैयारी में भारत, ठप हो जाएगी अर्थव्यवस्था


बीते कई माह से एलएसी पर बरकरार तनाव के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा सीमा पर चीन जब तक वर्षों से चले रहे समझौतों का पालन नहीं करता तब तक दोनों देशों बीच बरकरार तनाव को कम नहीं किया जा सकता। उन्होंने सीमा पर समझौतों के पालन के लिए चीन के महत्त्व पर जोर दिया कि दोनों देश सीमा के मुद्दों पर कैसे पहुंचेंगे और कहा कि “शांति को तनाव में रखा जाएगा” तो ऐसे मुद्दे उठते ही रहेंगे। विदेश मंत्री ने कहा  कि दोनों देशों के बीच पुराने समझौतों का जारी रहना बहुत जरूरी हैं। इससे दोनों देशों के बीच आर्थिक सहित अन्य बड़े आयामों को आगे बढ़ाने में आसानी होगी।

एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा “स्पष्ट रूप से, अगर हम सीमा पर शांति चाहते हैं, तो हमें पिछले समझौतों का पालन करना होगा।” उन्होंने बताया कि भारत ने राजनयिक व सैन्य वार्ता के कई दौर के बावजूद एलएसी के बीच सीमा पर गतिरोध से संबंधित “बकाया मुद्दों” को तेजी से हल करने की आवश्यकता पर भी बल दिया है।” जब उनसे सवाल किया गया कि भारत के दृष्टिकोण से कौन सा अमेरिकी राष्ट्रपति बेहतर होगा, तो मंत्री ने कहा “यदि आप पिछले चार अमेरिकी राष्ट्रपतियों, दो रिपब्लिकन और दो डेमोक्रेट पर नजर डालते हैं, तो सब दूसरे से बहुत अलग हैं।

भारत ने तेज की घेरेबंदी 

फिर भी, सबने भारत के साथ संबंधों के स्तर को और ऊपर उठाया… कई राजनेताओं के अलग-अलग समूह जो कई मुद्दों पर अकसर असहमत होते हैं वे भारत की कई बातों पर सहमत हैं और मुझे लगता है कि यह बहुत अच्छी बात है।”गौरतलब है कि हाल ही में एलएसी पर तनाव बढ़ने के बाद भारत ने चीन की रणनीतिक घेराबंदी तेज कर दी है और कई चीनी सामानों के आयात पर प्रतिबन्ध लगा चुका हैं। यहां तक के चीन के अधिकांश मोबाइल एप भी भारत में प्रतिबंधित कर दिए गये हैं। अब भारतीय तेल कंपनियां चीन से कच्चा तेल खरीदना बंद करके उसे एक और बड़ा झटका देने वाली हैं।

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