भारतीय राजनीति में प्रेरणादायी हैं प्रणब मुखर्जी के ये विचार

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का सोमवार शाम को निधन हो गया। इस बात की जानकारी उनके बेटे अभिजीत मुखर्जी अपने ट्वीटर अकाउंट के जरिए दी है। बताया जा रहा है कि प्रणब मुखर्जी पिछले कई महीनों से फेफड़ों की समस्या से जूझ रहे थे। दिल्ली कैंट स्थित आर्मी रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में उनका इलाज किया जा रहा है। आज सुबह ही अस्पताल की तरफ से बताया गया था कि उनके फेफड़ों में सूजन की परेशानी ज्यादा बढ़ गई थी, जिस वजह से वह सेप्टिक शॉक में चले गए थे। हालांकि इलाज के दौरान सोमवार को उन्होंने 84 वर्ष की उम्र में दम तोड़ दिया। पूर्व राष्ट्रपति की मौत के बाद से सोशल मीडिया पर लोग उन्हें श्रद्दांजलि दे रहे हैं। भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित थे। ये सम्मान पाने वाले वह भारत के 5वें राष्ट्रपति बने हैं। इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एस राधाकृष्णन, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. जाकिर हुसैन और वीवी गिरि को यह सम्मान दिया गया था।

आपको बता दें, भारत रत्न हिंदुस्तान का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है, जो असाधारण राष्ट्रीय सेवा के लिए दिया जाता है।
प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसम्बर 1935 को पश्चिम बंगाल के किरनाहर शहर में स्थित मिराती गांव वीरभूम जिले में हुआ था। उनके पिता का नाम कामदा किंकर मुखर्जी और माता का नाम राजलक्ष्मी मुखर्जी है। प्रणब मुखर्जी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक प्रमुख नेता हैं।
प्रणब मुखर्जी ने अपनी शिक्षा वीरभूम में पाई और इतिहास व राजनीति विज्ञान में कलकत्ता विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन पूरा किया। राजनीति में आने से पूर्व वे एक कॉलेज प्राध्यापक और एक पत्रकार रह चुके है।
इसके अलावा प्रणब मुखर्जी ने बांग्ला प्रकाशन की मातृभूमि की पुकार में भी काम किया है।
उनका राजनीतिक करियर करीब 5 दशक पुराना है, जो 1969 में कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा सदस्य के रूप में (उच्च सदन) से शुरू हुआ था। वे 1975, 1981, 1993 और 1999 में फिर से चुने गये। 1973 में वे औद्योगिक विकास विभाग के केंद्रीय उपमंत्री के रूप में मंत्रिमंडल में शामिल हुए। 1984 में वह भारत के वित्त मंत्री बनें।
साल 2012 में कांग्रेस ने उन्हें राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया और फिर वह भारत के 13वें राष्ट्रपति बनें।
प्रणब मुखर्जी के विचार ये बयां करते हैं कि वह भारत रत्न जैसे सम्मान को पाने के कितने योग्य हैं।
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