सीमा विवाद को लेकर भारत चीन के बीच जारी गतिरोध को चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि लद्दाख में चीनी की विस्तारवादी नीति से निपटने के लिए सैन्य विकल्पों पर भी विचार हो रहा है। एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक जनरल रावत ने बताया कि अगर बातचीत फेल होती है तो सैन्य विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है। इसके साथ जनरल रावत ने बताया कि सरकार शांतिपूर्ण ढंग से इस मामले को हल करना चाहती है। उन्होंने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े सभी जिम्मेदार लोग इस प्रयास के साथ सभी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं कि पीएलए लद्दाख में पहले जैसी स्थिति में लौट जाए।
आपको बता दें कि बीते तीन साल पहले जब चीन ने डोकलाम में घुसपैठ की कोशिश की थी, तब जनरल रावत सेना प्रमुख थे। खुफिया एजेंसियों के बीच तालमेल की कमी को सिरे से खारिज करते हुए जनरल रावत ने कहा कि भारत की इतनी लंबी सीमा है कि उसकी हमेशा देखरेख करने की जरूरत पड़ती है। इसके ही रावत ने बताया कि मल्टी-एजेंसी सेंटर की रोज मीटिंग हो रही है। एक-दूसरे को लद्दाख व अन्य जगहों की जानकारी दी जा रही है। चीन से जारी गतिरोध को लेकर लगातार बातचीत जारी है, कई दौर की बातचीत के बावजूद, पूर्वी लद्दाख में तनाव कम नहीं हो रहा है।
भारतीय सेना का साफ स्टैंड है कि चीन को अप्रैल से पहले वाली स्थिति बहाल करनी चाहिए। सैन्य स्तर पर बातचीत के अलावा विदेश मंत्रालय और दोनों देशों के वर्किंग मकैनिज्म फॉर कंसल्टेशन ऐंड को-ऑर्डिनेशन ने भी चर्चा की है। दोनों पक्ष कंपलीट डिसइंगेजमेंट की दिशा में आगे बढ़ने पर बार-बार सहमत हुए हैं लेकिन धरातल पर असर नहीं हुआ।
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