सीएम योगी के निशाने पर यूपी के माफिया, तबाही का मंजर देखने को मजबूर हुए मुख्तार व अतीक जैसे अपराधी


कहावत है कि कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं। जब तक कोई कानून की जद में नहीं आता वह इसका मजाक बना सकता है। लेकिन जो कानून की जद में आ गया फिर उसका रसूख भी उसे नहीं बचा सकता। ऐसा ही कुछ इस समय उत्तर प्रदेश में भी होता दिख रहा है। माफिया मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद जान बचाने को बेचैन नजर आ रहे हैं। ये वही अपराधी हैं जिनके नाम का यूपी में सिक्का चलता था। सरकार बदली तो इनका गुरूर भी टूट गया। आलम यह था कि सपा की सरकार में मुख्तार अंसारी जैसे माफिया कहने को तो जेल में बंद थे। लेकिन वह पुलिस के संरक्षण में राजधानी लखनऊ में घूमते हुए देखा गया था। खैर अब समय बदल गया है। जिस पुलिस की संरक्षण में ये अपराधी बड़ी—बड़ी घटनाओं को अंजाम देते थे आज उसी के संरक्षण में अपनी तबाही का मंजर भी देख रहे हैं। राजधानी लखनऊ में मुख्तार अंसारी के दो अवैध मकानों के ढहाए जाने के बाद प्रयागराज में अतीक अहमद पर भी कार्रवाई की गई है।

प्रयागराज में अतीक अहमद के कार्यालय सहित दो मकानों को पुलिस ने सील कर दिया है। कुर्क की गई संपत्ति की कीमत 35 करोड़ रुपए के करीब आंकी जा रही है। इससे पहले पुलिस ने अतीक अहमद की 5 संपत्तियों को गैंगस्टर एक्ट 14 (1) के तहत सील कर दिया था, जिसकी कुल कीमत 25 करोड़ रुपए बताई जा रही है। इतना ही नहीं पुलिस ने अतीक की अन्य बेनामी संपत्तियों पर कार्रवाई के लिए डीएम को अपनी रिपोर्ट भेजी है, जिसपर अनुमति मिलने का इंतजार है।

बताते चलें कि डीएम ने अतीक अहमद की 7 संपत्तियों को कुर्क करने का आदेश दिया था, जिसमें अभी तक पांच संपत्तियों को सील किया जा चुका है। करबला स्थित अतीक के कार्यालय को सील करने पुलिस पहुंची तो पता चला कि इसमें 8 लोगों की साझेदारी है। अलग—अलग गाटा संख्या होने के चलते अतीक अहमद की संपत्ति का चिह्नीकरण नहीं हो पाया। इसी को लेकर कल एक बार फिर से नगर निगम की टीम के साथ खुल्दाबाद इंस्पेक्टर विनीत सिंह मौके पर गए और इसकी जांच कराई। इसी बीच अतीक अहमद के वकील सहित उनके करीबी भी पहुंच गए और दावेदारी करने लगे कि यह संपत्ति उनकी है। इसके चलते अंत में पुलिस गाटा संख्या के आधार पर कार्यालय के सिर्फ एक हिस्से को ही गैंगस्टर एक्ट के तहत सील कर पाई।

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