84 साल बाद उत्तराखंड में दिखा ऐसा दुलर्भ सांप, तो ग्रामीणों के बीच मचा हड़कंप

 

ईश्वर ने अपनी इस दुनिया ऐसी-ऐसी रचना बनाई है, जिसे देख कर मानव प्राणी निसंदेह कभी विस्मित हो जाता है, तो कभी भयभीत तो कभी विचारशील। इसमें से तो कई ऐसी रचनाएं अब विलुप्त हो चुकी है, मगर अभी-भी कई मौकों पर न जाने कितने ही ऐसी रचनाएं सुर्खियों में आती रहती हैं, जिसे देख आप यकीनन हैरत में पड़ जाते होंगे। इसी बीच उत्तराखंड के नैनीतल में 84 साल बाद एक ऐसा ही अत्यंत दुर्लभ सांप दिखा है, जो मौजूदा समय में काफी सुर्खियां बटोर रही है। 84 बाद इस सांप को देख वनाधिकारी भी आश्चर्यचकित हो रहे हैं। इस सांप की सुरत लाल रंग की दिख रही है। इस सांप को वनाधिकारियों की टीम ने नैनीताल के घर से निकाला है। इस दुर्लभ सांप को कोरल कुकरी कहा जाता है।

इसके साथ ही वनाधिकारियों की टीम ने इस सांप के इतिहास के बारे में बताते हुए कहा कि इससे पहले भी इसे 1936 में उत्तर प्रदेश के लखीमपुरी जिले में देखा गया था। इसके बाद इसे वैज्ञानिक नाम ‘ओलिगोडोन खेरिएन्सिस’ दिया गया। इस सांप को कुखरी कहने के पीछे की वजह यह भी है कि इसकी सुरत गोरखाओं के कुखरी यानी की चाकू की तरह होता है और इस सांप के दांत कुखरी ब्लेड की तरह घुमावदार होते हैं। उधर, इस सांप के संदर्भ  में प्रभागिय वनाधिकारी नीतीश मणि त्रिपाठी ने कहा कि नैनीताल जिले के कुररिया खट्टा गांव के बांशिदें कविंद्र कोरंगा ने हमसे सांप के बचाव के लिए मदद मांगी थी और सूचना लगते ही जब हम वहां पर पहुंचे तो ग्रामीण उस सांप को पकड़कर बोरे में बंद कर चुके थे।

वहीं, त्रिपाठी इसके आगे की कहानी बयां करते हुए कहते हैं कि यह एक अत्युंत दुर्लभ सांप है, जिसे अब फिलहाल पकड़कर जंगल में छोड़ दिया गया है। इस सांप को 8 दशक के बाद फिर से देखा गया है। इससे पहले इसे उत्तर प्रदेश के लखीमपुरी में देखा गया था। देहरादून स्थित वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) के  वन्यजीव विशेषज्ञ विप्लुव मौर्य कहते हैं कि यह अंत्यत दुलर्भ सांप है, जो बहुत मुश्किल से देखने को मिलता है।

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