60 साल के व्यापारी की वाल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी से बची जान

कोरोना वायरस के इस संकट के घड़ी में एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट के चिकित्सकों ने एक मरीज की वाल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी कर जान बचाई है। मुंबई के 60 साल के व्यापारी शैलेश कनानी की सफलतापूर्वक वाल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी हुई है। एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट में हृदय के विशेषज्ञों ने उनके गंभीर रूप से संकुचित हृदय वाल्व को ठीक करने के लिए वाल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी की।

शैलेश कनानी को साल 2006 में अपने दिल के वाल्व के संकीर्ण होने का पता चला था, जिसके बाद उन्हें इसी साल मार्च में अचानक सांस लेने में थोड़ी परेशानी हुई और उन्हें एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट में ले जाया गया। एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट के मुख्य हृदय रोग विशेषज्ञ सर्जन डॉक्टर रमाकांत पांडा ने बताया कि जैसा कि मरीज ने लक्षण विकसित किए हैं, उन्होंने तुरंत मुझसे परामर्श किया। जिसके बाद मरीज की जांच करने पर ये पाया गया कि उनकी वाल्व की संकीर्णता बहुत ज्यादा हो गई है, जो एक गंभीर स्थिति थी।

मरीज को सर्जरी का सुझाव दिया गया। सर्जरी इसलिए जरूरी हो गई थी क्योंकि व्यापारी कनानी का वाल्व पूरी तरह से कैल्शियम से भर गई थी, जिसके कारण उनका हृदय पर्याप्त रक्त पंप करने में सक्षम नहीं था। इस स्थिति को देख उन्हें वाल्व प्रतिस्थापन प्रक्रिया की सलाह दी गई थी, या तो सर्जरी द्वारा या बिना सर्जरी के एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया के जरिए से ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट। आपको बता दें कि एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट टीएवीआर प्रक्रियाओं के सफलतापूर्वक संचालन अस्पतालों में से एक के रूप में सामने आया है।


वाल्व सर्जरी में डॉक्टर पांडा के सर्वश्रेष्ठ सुरक्षा रिकॉर्ड के कारण कानानी ने सर्जरी द्वारा वाल्व प्रतिस्थापन का विकल्प चुना। लेकिन कई शोध से ये सामने आया है कि मरीज को-ऑपरेटिव समय के दौरान कोविड-19 को पकड़ सकता है, तो यह मरीज को गंभीर परिणाम भी दे सकता है। डॉक्टरों ने भी मरीज की कोरोना टेस्ट रिपोर्ट आने तक अलग रखने की सलाह दी, जिससे की हालात को बिगड़ने से रोका जा सके।

डॉक्टर रमाकांत पांडा बताते हैं कि यह 9 घंटे तक चलने वाली एक जटिल प्रक्रिया थी। बीते 18 जुलाई को लंबी सर्जरी से डॉक्टर पांडा और उनकी टीम ने मरीज के वाल्व से कैल्शियम को हटाने में सफलता हासिल कर उनके हृदय में 25 मिमी आकार के ऊतक वाल्व डाला गया। ऑपरेशन करते समय मुख्य रक्त पाइप में इजाफा भी पाया गया था, जो महाधमनी के पतले हिस्से को हटाकर सामान्य आकार में वापस लाया गया था।

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