हमें असहज कर जाती थीं बचपन की ये 3 चीज़ें, अब रहते हैं दुरुस्त!

बचपन बड़ा याद आता है, हर किसी को। हालांकि कुछ का बचपन बड़ा शरारती तो कुछ का उससे भी ज़्यादा शरारती बीता होगा। शरारत ही क्यों हर किसी को उनके किसी न किसी ऊटपटांग की हरकतों के लिए मार भी पड़ी होगी। कइयों ने कई तरह की परेशानियाँ भी यक़ीनन झेली ही होंगी और ऐसा लगभग हर किसी के साथ कमोबेश उसके बचपन में होता ही है। लेकिन इतना ही नहीं, कई और भी चीज़ें हमारे बचपन से जुड़ी हुयी, जिनकी यादें आज आप लोगों के जेहन में ज़रा धुँधली ज़रूर हो गयी होंगी, लेकिन गुरू थीं बड़ी मज़ेदार। ये चीज़े जब हमारे साथ होती थीं तो बचपन में हम शर्म से पानी-पानी हो जाते थे। चलिए ऐसी 3 चीज़ों के बारे में आज आपको बताते हैं।
1. पैंट की ज़िप का फेल हो जानाः
पैंट की ज़िप। ओह्हो... नसूढ़ी फ़ेल होने की क़सम सी खाये रहती थी। किसी भी दर्ज़ी के यहाँ से पैंट सिलवा लो, लेकिन सेशन ख़त्म होते-होते पैंट की ज़िप में बकसुआ या आलपिन जरूर लगी मिलती थी। जैसे-जैसे हम बड़े होते गये, हमारी ज़िप ने फ़ेल होना ही बंद कर दिया है। आप भी याद करके हमें बताइए कि आपकी Zip पिछली बार कब fail हुयी थी?
2. चप्पल की बद्धियाँ टूटनाः
“चलते-चलते यूँ ही रुक जाता हूँ मैं..” इसका कोई और कारण नहीं, बल्कि चप्पल की बद्धी का टूट जाना होता है यार और शायद इस गाने के लिरिसिस्ट ने अपनी लाइफ़ में ये दुःख कई बार झेला हो। ऐसा हमारे बचपन में अक्सर होता आया है। हमारे हवाई चप्पल की बद्धियाँ टूटा करती थीं, जो अब कभी टूटती ही नहीं दिखती हैं। ...शायद बड़े हो गये हैं हम।
3. साइकिल की चेन उतरनाः
साइकिल की एक छोटी सी यात्रा करके आने के बाद हमारे हाथ देखने लायक होते थे। पूरा कीटी से सना हुआ होता था। इसका कारण और कुछ नहीं बल्कि रास्ते में साइकिल की चेन चढ़ाने से होता है। साइकिल की चेन उतरना हमारे बचन की आम बात है। कमबख़्त ऐसा तब ज़रूर होता था जब हम किसी दूसरे की साइकिल माँगकर ले गये हों या फिर जब हम कहीं कड़ी धूप में हों।
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