ज्ञात हो कि सबा ने अपने लेख में लिखा है, कोरोना संक्रमण और आर्थिक मंदी के बीच अयोध्या के भूमि पूजन के कार्यक्रम को विविधिता के तौर पर देखना गलत है। उन्होंने हिंदुत्व पर प्रहार करते हुए लिखा कि हिंदू राष्ट्र के वास्तुकारों के लिए यह शंख बजाने और आनन्दित होने का दिन है। जबकि सच यह है आर्टिकल 370 के प्रावधानों को खत्म करने की वर्षगांठ पर यह आयोजन किया जा रहा है। यह सत्ताशीन के लिए चिंता का नहीं बल्कि उत्सव का विषय है। इतना ही नहीं उन्होंने लिखा है कि सावरकर ने कहा था एक हिंदू वह है जिसके लिए भारत पितृभूमि और पुण्यभूमि है। उनके इस परिभाषा के तहत देश में मुसलमान और ईसाइय काफी दूर छूट जाते हैं।
जवाब में संबित पात्रा के इस ट्वीट पर सबा ने लिखा है, डियर संबित, आपके विचारों के लिए धन्यवाद, हम यह आगे भी चर्चा जारी रखेंगे। वहीं, कई यूजर्स ने लिखा है, आरएसएस देश का दुश्मन है। बता दें कि जम्मू—कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद भले ही शांति आ गई हो और यह राज्य देश का अभिन्य अंग बन गया हो। लेकिन खंडित भारत का सपना देखने वाले लेखक, विद्वान, राजनेता व अफसरशाही आज भी आहत नजर आ रहे हैं। एक वर्ष पूरे होने के बाद भी रह—रह कर अनुच्छेद 370 की बात करना यह साबित करता है कि देश में अभी भी बहुत सी ऐसी ताकतें है जो देश की संप्रभुता के लिए खतरा बनी हुई हैं।
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