‘हम तुम्हें जाने नहीं देंगे’, 3 मिलियन लोगों को बंदी बनाकर चीन Hong Kong को जेल में बदल रहा

हॉन्ग कॉन्ग  में तथाकथित सुरक्षा कानून लागू करने के बाद अब चीन की कम्युनिस्ट सरकार दुनिया के इस आर्थिक केंद्र को दुनिया की सबसे बड़ी जेल बनाने की दिशा में कई कदम उठा रही है। हाल ही की खबरों के मुताबिक यूके -चीन बीच खराब होते रिश्तों के कारण अब चीन हॉन्ग कॉन्ग में रह रहे उन नागरिकों को बंदी बना सकता है जिनके पास BNO यानि British National Overseas पासपोर्ट है। चीन ने धमकी दी है कि यूके के “उकसावे-भरे” कदमों के बाद चीन हॉन्ग कॉन्ग  में रह रहे BNO holders के हॉन्ग कॉन्ग  छोड़ने पर पाबंदी लगा सकता है। चीन का यह कदम करीब 30 लाख लोगों पर सीधा प्रभाव डाल सकता है।
यह धमकी यूके में मौजूद चीनी राजदूत की ओर से आई है। राजदूत लियु शाओमिंग ने एक प्रेस वार्ता कर धमकी दी कि चीन BNO पासोपोर्ट को ट्रैवल डॉकयुमेंट नहीं मानेगा। बता दें कि यूके ने हॉन्ग कॉन्ग  के 30 लाख BNO पासपोर्ट holders को शरण देने का ऐलान किया है, जिससे चीन के शासक चिढ़े हुए हैं। लियु ने अपनी इसी प्रेस वार्ता में उस viral video का भी बचाव किया जिसमें कई उइगर मुस्लिमों को एक ट्रेन में भरकर बंदीगृह में ले जाते हुए देखा जा सकता है। अब चीन की नई धमकी के बाद इस बात का डर बढ़ गया है कि क्या हॉन्ग कॉन्ग के नागरिकों का अंजाम भी उइगर मुस्लिमों के जैसा होने वाला है।
सुरक्षा कानून लागू होने के बाद अब हॉन्ग कॉन्ग  भी चीन के ही किसी अन्य शहर के समान बन गया है, जो अपने आप में किसी जेल से कम नहीं है। हॉन्ग कॉन्ग में अब लोकतन्त्र का नाम भर लेने से आपको “आतंकवादी” घोषित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए हॉन्ग कॉन्ग  सरकार ने हाल ही में 12 ऐसे विपक्षी उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर दिया, जो लोकतन्त्र का समर्थन कर रहे थे। चीनी सरकार अब चुन-चुन कर CCP विरोधी तत्वों को ठिकाने लगाने का काम कर रही है।
हॉन्ग कॉन्ग पर चीन के कब्ज़े से पहले यह शहर दुनिया के सबसे उच्च स्तरीय आर्थिक केन्द्रों में से एक हुआ करता था। यहाँ दुनिया की टॉप बहुराष्ट्रीय कंपनियों के ऑफिस हैं और इसके जरिये ही चीन ने दुनियाभर के निवेशकों से अपने लिए पैसा जुटाया है। हालांकि, शी जिनपिंग ने अपनी सत्ता के नशे में चूर होकर इस शहर को बर्बाद करने की योजना पर काम करना शुरू किया और आज यह शहर बर्बाद होने की कगार पर पहुंच चुका है। चीन ने अपने ही “एक देश दो सिस्टम” के सिद्धान्त की धज्जियां उड़ाते हुए हॉन्ग कॉन्ग पर अपना एकाधिकार कायम कर लिया है।
सुरक्षा कानून लागू होने से पहले तक Sino-British Joint Declaration के तहत हॉन्ग कॉन्ग  एक विशेष प्रशासनिक क्षेत्र हुआ करता था, जहां लोगों को “फ्री स्पीच” और “संगठन बनाने” जैसे मूलभूत लोकतांत्रिक अधिकार मिले हुए थे, लेकिन अब CCP सरकार को अगर हॉन्ग कॉन्ग  में होने वाली किसी भी गतिविधि से कोई परेशानी होगी तो वह आसानी से उसे “सुरक्षा के लिए खतरा” घोषित कर उसपर पाबंदी लगा सकेगी। चीन नहीं चाहता कि हॉन्ग कॉन्ग  के लोग खुलकर चीन के खिलाफ बोलें, इसीलिए उसने अब इस कानून को लागू किया है। अब अगर हॉन्ग कॉन्ग  पुलिस को कोई भी व्यक्ति प्रदर्शन करता हुए दिखाई देता है, तो पुलिस आसानी से उसे गिरफ्तार कर सकती है। कुल मिलाकर कभी दुनिया का आर्थिक केंद्र रहा हॉन्ग कॉन्ग अब दुनिया की सबसे बड़ी जेल बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
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