दाउद को लेकर पाकिस्तान का बड़ा कबूलनामा, 27 साल बाद किया यह काम, फिर अपनी ही बात से मुकरा

आतंकवाद को लेकर फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स (एफएटीएफ) की तरफ पाकिस्तान पर शिकंजा कसता जा रहा है, जिसका नतीजा यह है कि 27 साल बाद फाइनली पाकिस्तान ने इस बात को कबूल कर लिया की भारत का मोस्ट वांटेड आतंकी दाउद इब्राहीम पाक में ही छिपा है। जी हां पाकिस्तान ने हाल ही में 88 आतंकियों को एक लिस्ट जारी की जिसमें दाउद का भी नाम शामिल है। लिस्ट में यह भी बताया गया है कि कराची में उसके तीन घर है। साथ ही यह भी जानकारी दी कि वह अपने पास 14 पासपोर्ट रखता है। गौरतलब है कि पाकिस्तान ने यह कार्रवाई फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स (एफएटीएफ) के ब्लैक लिस्ट में आने से बचने की लिए की है। पाकिस्तान ने जिन 88 आतंकियों की लिस्ट जारी की है। उन पर उसने कड़े वित्तीय प्रतिबन्ध लगाये है। पाक में इन सभी की संपत्तियों को जब्त करने और बैंक खातों को फ्रीज करने का आदेश दिया गया है। इन पर ट्रैवल बैन भी लगाया गया है। हालंकि कुछ ही घंटों बाद अपने कबूलनामे से पलटी मारते हुए पाकिस्तान ने कहा कि डी कंपनी का सरगना उसके देश में नहीं है।

मुंबई बम धमाके का है मास्टर माइंड 

आपको बता दें कि दाउद 1993 में हुए मुम्बई बम धमाकों के मास्टर माइंड है। इस ब्लास्ट को अंजाम देने के बाद ही दाउद पकिस्तान भाग गया था और तबसे वहीं रह रहा है, लेकिन पाकिस्तान इस बात से हमेशा इनकार करता रहा। आज 27 साल बात पाक ने दाउद के कराची में रहने की बात कबूली है। मुंबई बम धमाके में 257 लोगों कि जान गयी थी जबकि 1400 लोग जख्मी हुए थे। इस धमाके के बाद से ही दाउद के पाकिस्तान में छिपे होने की खबरें आती रहीं लेकिन पाक ने कभी भी इस नहीं कबूला। एक रिपोर्ट के मुताबिक़ एफएटीएफ की सख्ती के बाद पकिस्तान ने जिन आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की है उनमें उनमें जमात-उद दावा के प्रमुख हाफिज सईद और जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर भी शामिल है। हक्कानी नेटवर्क, तालिबान, टीटीपी, अल-कायदा जैसे आतंकी संगठनों और उसके सरगनाओं पर भी सख्त प्रतिबंध लगाये गये हैं।

इन आतंकियों पर लगे प्रतिबंध

जानकारी के अनुसार दाऊद इब्राहिम के साथ-साथ जिन आतंकियों पर सख्त प्रतिबंध लगाये गये हैं उनमें मसूद अजहर, मुल्ला फजलुल्ला (उर्फ मुल्ला रेडियो),हाफ‍िज सईद, जकीउर रहमान लखवी, ब्दुल हकीम मुराद, मुहम्मद यह्या मुजाहिद, अ नूर वली महसूद, उ तालिबान नेताओं जलालुद्दीन हक्कानी, खलील अहमद हक्कानी, जबेकिस्तान लिबरेशन मूवमेंट के फजल रहीम शाह, यह्या हक्कानी और उनके सहयोगी शामिल हैं। इतना ही नहीं तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, तंजिम खुत्ब इमाम बुखारी, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, तारिक गीदर समूह, हरकतुल मुहाहिदीन, लश्कर-ए-झांगवी, अल रशाीद ट्रस्ट, राबिता ट्रस्ट लाहौर आदि संगठनों के नेताओं पर भी सख्ती बरती गयी है।

अभी ग्रे लिस्ट से भी बाहर नहीं आ पाया पाक 

पाक सरकार की तरफ से इन आतंकियों को लेकर जारी किये गये आदेश में कहा गया है कि लिस्ट में शामिल आतंकवादियों के वित्तीय संस्थानों से लेनदेन करने और हथियार खरीदने पर भी प्रतिबन्ध है। मालूम हो कि पेरिस स्थित वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (Financial Action Task Force, FATF) ने साल 2018 के जून माह में ही पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल दिया था लेकिन आतंकियों पर कार्रवाई करने में हीलाहवाली की वजह से अभी तक वह इस सूची से बाहर नहीं आ पाया।

पाक दाउद को भारत को सौंप दें 

यह सवाल यह है कि पाकिस्तान से आखिर इतने साल बाद दाउद के कराची के होने की बात क्यों कबूली, इसकी साफ़ वजह है कि पाकिस्तान जून 2018 से ही एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में है और उस पर ब्लैक लिस्ट होने का खतरा मंडरा रहा है। पकिस्तान को सितंबर 2020 तक इस FATF की 27 सूत्री कार्य योजना को अमल में लाना है, क्योंकि अक्टूबर में जब एफएटीएफ की बैठक होगी तब उसमे इसकी समीक्षा की जाएगी। इसी के मद्देनजर पाकिस्तान ने यह कदम उठाया। इधर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने एक बयान में कहा कि जब पाकिस्तान ने यह कबूल ही लिया है कि दाउद कराची में हैं तो पाक सरकार को चाहिए कि वह उसे भारत को सौंप दे।

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