प्रेरणाः घरेलू हिंसा से लड़कर ‘‘रंगभूमि’ ’ में जीवन के गीत गुनगुनाने वाली चेतना मेहरोत्रा

हौसला एक ऐसी चीज़ है, जिसके रहते हम दुनिया में मिलने वाले एक से बढ़कर एक दुःख से लड़ सकते हैं और उससे विजय भी पा सकते हैं। कोई ऐसी ताक़त नहीं है जो हमें हमारे हौसले के रहते हुए हरा सके। इस बात की जीता-जागता उदाहरण हैं चेतना मेहरोत्रा। चेतना मेहरोत्रा मुम्बई की रहने वाली हैं, जिन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक किया है। स्नातक के बाद नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा यानी कि एनएसडी से समर एप्लिकेशन प्रोग्राम किया और कथक का भी प्रशिक्षण लिया। इसके बाद चेतना मेहरोत्रा की शादी हो गयी।
चेतना मेहरोत्रा की शादी क्या हुयी मानों इनके जीवन में शोषम का पहाड़ गिर गया हो। इनके पति इसके साथ मारपीट करते रहे। इस घरेलू हिंसा से चेतना मेहरोत्रा 10-12 सालों तक लड़ती रहीं और फिर एक दिन निश्चित किया कि इससे उन्हें निकलना है और फिर इन्होंने अपने पति को तलाक़ दे दिया। पति का घर छोड़ देने के बाद चेतना मेहरोत्रा को एक साथ दर्ज़नों परेशानियों ने घेर लिया, जिसने वह बराबर लड़ती ही रहीं। लेकिन उन्होंने हार बिल्कुल भी नहीं मानी।
इसके बाद एक दिन चेतना मेहरोत्रा ने अपने हुनर के दम पर अपनी ज़िन्दगी को आगे बढ़ाने का विचार किया और ‘रंगभूमिः ए हैप्पी प्ले ग्राउण्ड’ नाम की संस्था बना डाली। ‘रंगभूमि’ महिलाओं को थियेटर के ज़रिए बताता है कि वो कैसे अपने जीवन में खुद फैसले लेकर आगे बढ़ सकती हैं। इस दौरान महिलाओं को थियेटर के जरिए बताया जाता है कि जैसे रामायण में सीता ने खुद ही वनवास जाने और धरती में समाने का फैसला लिया था। इसी तरह उनको भी अपने फैसले लेकर खुद ही रास्ता बनाना चाहिए।
प्रचलित थियेटर से कैसे अलग है ‘रंगभूमि’?
‘रंगभूमि’ में हम कविता की शैली में थियेटर करते हैं। आमतौर पर जो भी थियेटर होता है, वो स्क्रिप्ट पर आधारित होता है, जबकि ‘रंगभूमि’ में हम सीधे दर्शकों को साथ में जोड़ते हैं और उनकी भागीदारी के साथ हमने इंटरनेशन थियेटर शैली जैसे प्लेबैक थियेटर, थियेटर ऑफ ऑपरेट, थियेटर इन एजुकेशन जैसी आर्ट शैली की शुरूआत की है।

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