मंदी के दौर में, महामारी के काल में, हर तरह की मुसीबतों के बीच …जब हर परिवार से किसी न किसी का रोजगार छिन रहा हो…तब जमीर से सौदा करने वाले बागी विधायकों के ऐसे ठाठ देखकर, राजनीति से घोर घृणा होने लगती है।
शायद ऐसे ही वक्त के लिये 23 साल की उम्र में भगत सिंह फांसी पर चढ़े थे। शायद ऐसे मुकाम के लिये आजाद 24 साल में बलिदान दे बैठे।
शायद ऐसी बेशर्म सी तस्वीर देखने के लिये हम अपने बूढ़े बाप, मां, नाना-नानी के साथ एक-डेढ़ किलोमीटर पैदल चलकर, मतदान करने जाते हैं।
अय्याशी के साथ किसी पांच सितारा होटल में छप्पन भोग करना, कोई पाप नहीं है।
पर जनसेवा के नाम पर, जनता की सेवा में, ऐसा आचरण पाप से कम भी नहीं।
राजस्थान के नेताओं के ये ऐश फॉर कैश, लोकतंत्र की दुखद और विचलित करने वाली तस्वीर है।
(चर्चित वरिष्ठ पत्रकार दीपक शर्मा के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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अय्याशी के साथ किसी पांच सितारा होटल में छप्पन भोग करना, कोई पाप नहीं है।
पर जनसेवा के नाम पर, जनता की सेवा में, ऐसा आचरण पाप से कम भी नहीं।
राजस्थान के नेताओं के ये ऐश फॉर कैश, लोकतंत्र की दुखद और विचलित करने वाली तस्वीर है।
(चर्चित वरिष्ठ पत्रकार दीपक शर्मा के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
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