पीएम मोदी की हर समस्या का हल बन गए हैं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल

भारत में प्रतिभावान लोगों की कमी नहीं है, कमी है तो ऐसे प्रतिभाशाली लोगों को चुनने वालों की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) के पद पर अजीत डोभाल को नियुक्त करके यह बात साबित कर दिया है। अजीत डोभाल आज वो नाम बन गए हैं जिसके आते ही यह मान लिया जाता है कि अब उस समस्या का हो जाएगा। एनएसए पद के लिए जिस कूटनीति और विदेश नीति की समझ होनी चाहिए वह डोभाल में है। इसी का नतीजा रहा कि बीते दिनों लद्दाख में कब्जा जमाए चीनी सैनिक डोभाल की चीन के रक्षा मंत्री वाँग यी से लगभग दो घंटे फोन से हुई बात के बाद उस इलाके से पीछे हटना शुरू कर दिया। यह वही इलाका है जिस पर चीन बीते कुछ दिनों पहले अपना दावा ठोंकता आ रहा था।
यह पहली बार नहीं हुआ है जब अजीत डोभाल ने चीन को अपने रुख़ में परिवर्तन लाने को मजबूर किया है। वर्ष 2017 में भी जब डोकलाम में भारत और चीन के सैनिक आमने—सामने आ गए थे, तो उस समय ब्रिक्स बैठक के दौरान डोभाल ने अपने समकक्ष याँग जी ची से चर्चा कर मामले को तूल देने से रोका था। बताते चलें कि अजीत डोभाल भारत के पांचवें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं। अटल विहारी वाजपेयी सरकार के दौरान वर्ष 1998 में अमरीका की तर्ज़ पर यह पद सृजित किया गया था। इस पद पर पहली नियुक्ति पूर्व राजनयिक ब्रजेश मिश्रा की हुई थी जिनका कार्यकाल वर्ष 2004 तक रहा।

बता दें कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के दायित्वों में रक्षा, खुफिया तंत्र और कूटनीति तीनों का समावेष होता है लेकिन अब तक बने पांचवें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाकारों में से तीन ब्रजेश मिश्रा, जे.एन. दीक्षित और शिवशंकर मेनन कूटनीति के क्षेत्र से आए हैं। नियमानुसार एनएसए सामने न आकर सरकार को सलाह देने का काम किया करते थे। उनका काम दिल्ली में बैठ कर सभी जगहों से सूचनाएं एकत्रित कर सरकार को सलाह देना था। लेकिन नरेंद्र मोदी ने इस परंपरा से आगे बढ़ते हुए अजीत डोभाल का उपयोग अन्य मामलों के लिए भी किया है।
वहीं जब दिल्ली के पूर्वी जिलों में दंगे हुए तो पीएम मोदी ने प्रभावित इलाकों में कानून और व्यवस्था को कायम रखने के लिए अजीत डोभाल को भेजा। देश के लिए यह पहला मौ​का था जब एनएसए ने प्रभावित इलाकों में जाकर हालात का जायजा लिया बल्कि प्रभावित लोगों से बात भी की। इससे पहले भी डोभाल को एनएसए के परंपरागत भूमिका से आगे निकालते हुए कुछ अतिरिक्त करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी।

बीते वर्ष जब कश्मीर में धारा 370 हटाई गई तो डोभाल ने पूरे एक पखवाड़े तक यहां कैंप किया था। उस दौरान उनका एक वीडियो भी खूब वायरल हुआ था जिसमें वह कश्मीर के सबसे तनावग्रस्त इलाकों में से एक शोपियां में स्थानीय लोगों के साथ बिरयानी खाते देखे जा रहे थे। इसी तरह एक दूसरे वीडियो में वह जम्मू-कश्मीर पुलिस और अर्ध सैनिक बलों के जवानों के साथ बात करते हुए भी देखे गए। इन दोनों वीडियो से देश में यह संदेश गया कि जम्मू—कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद भी शांति है।
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