सुबह होती है, शाम होती है, जिंदगी यूहीं तमाम होती है... आज के समय में जीवन का फलसफ़ा कुछ ऐसा ही हो गया है। क्योंकि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हमारी लाइफ स्टाइल पूरी तरह मशीनरी हो चुकी है, हम जी तो रहे हैं पर हमारी जीवन में जिवटता नहीं बची है। हम रोज एक नियत समय पर उठते हैं और फिर उसी कामकाज में लग जाते हैं। ऐसे में हमारे पास हमारे लिए ही दो पल सुकून के नहीं बचते ताकी हम सोच सके कि हमारी जिंदगी किस दिशा में जा रही है। इसलिए अब हमे ‘मी टाइम’ की जरूरत आन पड़ी है। आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि क्या है ‘मी टाइम’ और क्यों ये आपके लिए जरूरी है
क्या है ‘मी टाइम’

ज्यादातर लोग ये आप सोचते हैं कि उनका पूरा समय तो उनके लिए ही है, पर ध्यान से देखा जाए तो इसमें कुछ चंद लम्हें भी वो खुद के साथ नहीं बिता पाते । फिर सुबह-शाम घर की कामों की व्यस्तता और पूरा दिन ऑफिस के काम में बीत जाने के बाद जब वो रात के वक्त बिस्तर पर जाते हैं, तभी भी दिमाग में अगले दिन का काम की चिंता लगी रहती हैं। ऐसे में खुद के बारे में सोचने के लिए वक्त ही कहां मिलता है। हां, अगर आप अपनी व्यस्त दिनचर्या से अगर कुछ समय खुद के लिए निकाल पाते हैं तो ये क्वालिटी टाइम जो आप खुद के साथ बिताते हैं वो आपका ‘मी टाइम’ कहलाता है।
क्यों जरूरी है ‘मी टाइम’

आज की दौड़ती आगती जिंदगी में ‘मी टाइम’ का महत्व खासकर बढ़ गया है, क्योंकि आजकल ज्यादातर लोगों को काम के बोझ के चलते मानसिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, साथ ही उनके सेहत पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है। ‘मी टाइम’ ऐसे लोगों के लिए संजीवनी का काम करता है, आप इस इसके जरिए आप अपने जीवन रंग भर सकते हैं। ये आपको खुद के बारे में सोचना के मौका देता है, ऐसे में आप आत्मविश्लेषण कर ये जान सकते हैं कि आपकी लाइफ में दिक्कत कहां आ रही है। कौन सी ऐसी चीज है जो आपको परेशान कर रही है और फिर आप उसका समधान कर सकते हैं।

‘मी टाइम’ आपको काम करने की नई ऊर्जा भी देता है। रूटिन के कामों से अलग जब खुद के साथ समय बिताते हैं तो आपको मानसिक शांति के साथ नई ऊर्जा भी मिलती है, जिससे आप अपना काम बेहतर ढंग से कर पाते हैँ।
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