दिल्ली दंगा- पुलिस ने कोर्ट को जो बताई सच्चाई उसे जानकर उड़ जाएंगे आपके होश

CAA और NRC के विरोध में हुए दिल्ली दंगे यूँ ही नहीं हो गये थे, बल्कि यह सोची समझी साजिश में तहत भड़काए गए थे। यह बात दिल्ली पुलिस ने पटियाला कोर्ट में हो रही सुनवाई के दौरान पेश की गयी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में कही। साथ ही कोर्ट से मामले की जांच केऔर आरोप पत्र दाखिल करने के लिए और वक्त मांगा ताकि मामले की तह तक पहुंचा जाए। दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया कि पूर्वी दिल्ली के दंगों के लिए सउदी अरब और देश के अलग-अलग हिस्सों से मोटी रकम आई थी। पुलिस ने यह भी कह की दिल्ली में दंगे अचानक नहीं भड़के थे। बल्कि दिल्ली में जान माल का अधिक से अधिक नुकसान हो इसकी पूरी तैयारी की गई थी। दिल्ली दंगे की सुनवाई पटियाला हाउस स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायधीश धर्मेंद्र राणा की अदालत में की जा रही है।
इस दौरान पुलिस ने इन दंगों के तीन महत्वपूर्ण किरदारों को लेकर अहम जानकारी दी। इनमें आम आदमी पार्टी से निलंबित निगम पार्षद ताहिर हुसैन, जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र नेता मीरान हैदर और गुलिफ्ता खातून के नाम शामिल हैं। पुलिस के मुताबिक़ ये तीनों मात्र मोहरा हैं जिन्हें दिल्ली दंगों में अधिक नुकसान पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किया गया था। मेन जड़ तक पहुंचना अभी बाकी है। पुलिस ने कहा कि लॉकडाउन के कारण जांच का काम बाधित हुआ है, इसलिए उन्हें मामले की जांच के लिए और समय की जरूरत है। अदालत में सौंपी गई प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के मुताबिक़ गुलिफ्सा खातून ने सोशल साइट पर जैसे फेसबुक, ट्विटर व व्हाट्सएप पर देश के खिलाफ समुदाय विशेष को जुटाने का मोर्चा संभाला था। दिल्ली के 21 स्थानों पर बहुत पहले प्रदर्शन की तैयारी कर ली गई थी।

53 की हुई थी मौत 
मालूम हो कि इस साल की शुरुआत में हुए दिल्ली दंगों में  53 लोगों की मौत हो गई थी और 200 लोग घायल हुए थे। साथ ही सरकारी और निजी संपत्ति को भी काफी नुकसान पहुंचा था। उग्र भीड़ ने मकानों, दुकानों, वाहनों, एक पेट्रोल पम्प को फूंक दिया था और स्थानीय लोगों तथा पुलिस कर्मियों पर पथराव किया। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने 700 से अधिक मुकदमे दर्ज किए। जबकि कुल 1300 लोगों की गिरफ्तारी की गई थी। इनमें से 700 लोगों को पुलिस ने लॉकडाउन के दौरान गिरफ्तार किया।
इन इलाकों में भड़का था दंगा
बता दें कि नागरिकता कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच संघर्ष के बाद 24 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर,शिव विहार, भजनपुरा, चांदबाग, घोंडा, यमुना विहार इलाकों में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे। इसी दंगे में जस्थान के सीकर के रहने वाले दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल की 24 फरवरी को गोकलपुरी में गोली लगने से मौत हो गई थी। जबकि डीसीपी और एसीपी सहित कई पुलिसकर्मी गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे। इसी दंगे में एक आईबी अफसर अंकित शर्मा की हत्या करने के बाद उनकी लाश नाले में फेंक दिया गया था।
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