वैज्ञानिकों ने किया खुलासा, दिल्ली-एनसीआर में इसलिए बार-बार आ रहा है भूकंप

कोरोना संकट के बीच देश का पूर्वी हिस्सा भूकंप के झटकों से हिल रहा है। इन क्षेत्रों में लगातार भूकंप आने पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि इस क्षेत्र में दो अलग—अलग गहराई पर स्थित केंद्रों से मध्यम स्तर के भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं। जानकारों के मुताबिक कम तीव्रता वाले भूकंपों का केंद्र 1 से 15 किलोमीटर की गहराई में जबकि रिक्टर स्केल पर 4 से थोड़ी अधिक तीव्रता वाले भूंकप 25 से 35 किलोमीटर की गहराई से हैं। ज्ञात हो कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत आने वाला वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी की ओर से किए गए अध्ययन में बताया गया है कि मध्यवर्ती गहराई में भूकंपीय गतिविधि नहीं होती है और यह द्रव/आंशिक द्रव वाले क्षेत्र में पड़ती है।
अध्ययन की मानें तो इस क्षेत्र में क्रस्ट (धरती के सबसे बाहरी ठोस ढांचे) की मोटाई ब्रह्मपुत्र घाटी के नीचे 46.7 किमी से लेकर अरुणाचल प्रदेश के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में 55 किमी तक है जहां क्रस्ट और पपड़ियों के बीच की सीमा को इंगित करने वाले संपर्क क्षेत्र में थोड़ा सा उठान है जिसे ‘मोहो डिसकंटिन्यूटी’ भी कहा जाता है। इसमें कहा गया है कि यह ट्यूटिंग-टिडिंग सचर जोन में भारतीय भौगोलिक प्लेट की अंडर-थ्रस्टिंग (वह फॉल्ट जिसमें फॉल्ट प्लेन की निचली सतह की चट्टानें ऊपरी सतह पर स्थित चट्टानों के तहत चली जाती हैं) प्रक्रिया को दिखाता है।

अध्ययन में यह भी कहा गया है कि लोहित घाटी के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में क्रस्ट की गहराइयों में द्रव या आंशिक द्रव (ठोस वस्तु का केवल एक हिस्सा पिघला हुआ) की मौजूदगी का भी संकेत मिलता है। इसी तरह एक बयान में कहा गया है कि भारत के सबसे पूर्वी हिस्सों में चट्टानों के लचीलेपन और भूकंपनीयता पर वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (डब्ल्यूआईएचजी) की ओर से किए गए अध्ययन में पता चला है कि क्षेत्र में दो अलग-अलग गहराइयों से मध्यम स्तर के भूकंप के झटके आ रहे हैं।
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