कानपुर एनकाउंट पर बड़ा खुलासा: इस शख्स की शिकायत पर विकास दुबे को पकड़ने गई थी पुलिस

कुख्यात हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद से लगाये जा रहे तमाम कयासों पर उस समय विराम लग गया  जब विकास दुबे की शिकायत करने वाले राहुल तिवारी ने सामने आकर सच का खुलासा किया। अभी तक कहा जाता था की सीओ देवेन्द्र मिश्रा विकास के पीछे पड़े थे इस लिए खुद ही उसके मामलों को संज्ञान में लेकर उसके खिलाफ केस फ़ाइल कराया और दबिश देने पहुंच गये, लेकिन अब राहुल के सामने आने के बाद कुछ और ही सच्चाई सामने आ रही है। बिकरू गांव के ही रहने वाले राहुल ने बताया कि जब विकास ने उसे पीटा तो वह भाग कर थाने आया, लेकिन थानेदार ने विकास के खिलाफ एफआईआर लिखने की बजाय थाने से ही भगा दिया, जिसके बाद वह एसएसपी के पास शिकायत लेकर पहुंचा। एसएसपी के आदेश पर विकास के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई और उनके ही निर्देश पर सीओ बिल्हौर फोर्स लेकर विकास की गिरफ्तारी के लिए दबिश देने गये थे।
राहुल ने बताया कि विकास ने जब उसको जान से मारने की कोशिश की थी तो उसने चौबेपुर के तत्कालीन एसओ विनय तिवारी से एफआईआर दर्ज करने की गुहार लगाई, तब एसओ विनय तिवारी ने रिपोर्ट दर्ज करने से साफ इंकार कर दिया। इसके बाद ही वह एसएसपी दिनेश कुमार पी के पास पहुंचा और उनको पूरी घटना बताई। इसके बाद एसएसपी ने सीओ को तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया। राहुल ने बताया कि बिकरू कांड के एक दिन पहले विकास दुबे ने उसको पीटकर उसके सीने पर रायफल सटा दी थी। ये पूरा कांड पूर्व चौबेपुर एसओ विनय तिवारी के सामने हुआ था लेकिन एसओ ने विकास के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया बल्कि वह तोविकास के सामने नतमस्तक हो गए थे। काफी देर तक मारपीट होने के बाद एसओ बीच बचाव करने आये और उन्होंने विकास को जनेऊ और गंगाजल हाथ पकड़ा कर कसम दिलाई थी कि वह राहुल को नहीं मारेगा। तब जाकर विकास शांत हुआ था। उसके बाद पीटते हुए राहुल को खदेड़ा था।
अंडरग्राउंड हो गये थे राहुल 
बता दें कि बिकरू कांड के बाद विकास पर केस दर्ज कराने वाले राहुल तिवारी का कानपुर कांड के बाद से कुछ पता नहीं लग रहा था। वह अंडरग्राउंड हो गया था। लेकिन विकास की मौत के बाद सामने आये राहुल ने बताया कि विकास फरार था, इसलिए डर था कि कहीं वह मुझे मार न दे इसलिए भाग गया था। राहुल ने बताया कि विकास ने विनय तिवारी के सामने राहुल को मारा, फिर भी थानेदार विनय तिवारी खामोश रहा क्योंकि वह खुद विकास का गुर्गा बना हुआ था। गौरतलब है कि विकास हमेशा कहता था कि उसके गांव में पुलिस कभी नहीं घुस सकती और अगर घुस भी गयी तो मार खाकर ही वापस जाएगी। कई बार ऐसा हो भी चुका था। शहर में रह चुके पुराने अधिकारियों को इसकी जानकारी थी, लेकिन नए एसएसपी वहां के खतरे को भांप नहीं सके और राहुल की शिकायत पर तुरंत दबिश देने का आदेश दे दिया।

एसएसपी को नहीं था खतरे का अंदेशा 
अगर वह बिकरू और विकास के इतिहास से परिचित होते तो रणनीति के साथ पीएसी के अलावा कई अन्य थानों का फोर्स वहां दबिश देने के लिए भेजते और इतना बड़ा कांड होने से शायद बच जाता। इधर पुलिस अधिकारियों का कहना है कि सर्किल की फोर्स ने दबिश दी थी। 40 से अधिक पुलिसकर्मी दबिश देने गये थे। एक हिस्ट्रीशीटर को पकड़ने के लिए इतनी फ़ोर्स काफी होती है। लेकिन फोर्स उस तैयारी से नहीं पहुंची थी जितनी विकास के लिए होनी चाहिए थी। किसी को इस बात का बिल्कुल अंदेशा नहीं था कि विकास इस तरह से हमला कर देगा।
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