तेज गति से धरती की तरफ बढ़ रही हैं 3 नई आफत, टकराने से डगमगा जाएगी धरती

पूरा विश्व कोरोना महामारी (corona epedmich) से जूझ रहा है. पर आसमानी आफत भी दुनिया पर जमकर बरस रही है. 24 जुलाई यानि आज एक बड़ी खगोलीय घटना होने जा रही है. जिसे लेकर नासा के वैज्ञानिकों ने अलर्ट भी जारी कर दिया है. जिसके मुताबिक, तीन बड़ी मुसीबतें धरती के बहुत ही पास से निकलेंगी. वैसे तो इन्हें लेकर कोई खतरा नजर नहीं आ रहा है लेकिन कई बार उल्कापिंड आखिरी समय में रास्ता बदल लेते हैं जिससे दुनिया में तबाही मच जाती है. यही कारण है कि नासा समेत कई देशों के वैज्ञानिक इसकी निगरानी कर रहे हैं. कहा जाता है कि, अगर धरती से उल्कापिंडों के टक्कर हो जाती है तो भारी तबाही मच जाती है.

नासा की चेतावनी
नासा (NASA) द्वारा जारी चेतावनी में एस्ट्रॉयड 2020 एनडी (Asteroid 2020 ND) जो 170 मीटर लंबा है वह धरती करीब 50.86 लाख किलोमीटर की दूरी से 13.5 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से गुजरेगा. वहीं दूसरा उल्कापिंड 2016 DY 30 एक ऐसा उल्कापिंड है जो धरती के सबसे नजदीक से गुजरेगा. इसकी चौड़ाई 15 फीट है और ये धरती के 34 लाख किलोमीटर दूर से 54 हजार किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से निकलेगा.


कहा जा रहा है कि, अगर 2016 DY 30 धरती से टकरा गया तो इससे आधी से ज्यादा दुनिया तबाह हो सकती है. वहीं उल्कापिंड 2020 ME3 धरती से 56 लाख किलोमीटर दूर से गुजर जाएगा. वैज्ञानिकों ने अपने अलर्ट में बताया है कि, इन्हें लेकर कोई खतरा तो नजर नहीं आ रहा है पर फिर भी अलर्ट रहना जरूरी होता है. क्योंकि, आखिरी समय में कुछ भी हो सकता है जिस पर काबू करना फिर नामुमकिन होता है.

क्या होते हैं उल्कापिंड
बता दें, धरती के नजदीक से गुजरने वाले उल्कापिंड ग्रहों के टुक़ड़े होते हैं और ये अंतरिक्ष में घूमते-घूमते धरती के नजदीक आ जाते हैं. द प्लेनेटरी सोसायटी की मानें तो 3 फीट के उल्कापिंड अंतरिक्ष में 1 अरब से भी ज्यादा हैं पर इन्हें धरती से किसी भी तरह का खतरा नहीं है. लेकिन जो उल्कापिंड 90 फीट या उससे ज्यादा बड़े होते हैं उनसे धरती को खतरा होता है और इनके गिरने से जीव-जंतु समेत पेड़ पौधे तक नष्ट हो जाते हैं. माना जाता है कि, हजारों साल पहले धरती पर एक बहुत बड़ा उल्कापिंड गिरा था जिसकी चौड़ाई 40 किमी से भी ज्यादा थी और इसकी रफ्तार 58 हजार मील प्रति घंटे थी. इसके धरती पर गिरने से डायनासोर का अंत हो गया था. उल्कापिंड की वजह से आज दुनिया में डायनासोर विलुप्त हो चुके हैं.

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