चीन से युद्ध के लिए 15 किमी लंबा अंडर वॉटर टनल बनाएगा भारत, मिली मंजूरी

भारत सरकार (Indian Government) पूर्वी लद्दाख (Eastern Laddakh) क्षेत्र में चीन (China) से बढ़ते तनाव को देखते हुए अपनी सामरिक स्थिति और भी मजबूत करने की कोशिश में लगी है। भारत (India) इसके लिए अब ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे से सुरंग बनाने का फैसला किया है। पंद्रह किलोमीटर लंबी इस अंडर वॉटर टनल को बनाने के लिए भारत सरकार (Indian Government) ने मंजूरी दे दी है। इस वॉटर टनल के माध्यम से भारतीय सेना (Indian Army) बॉर्डर पर साजो सामान के साथ आसानी से पहुंच जाएगी।
नेशनल हाइवेज एंड इंफ्रस्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने अमेरिका (America) की कंपनी के साथ मिलकर इसकी तैयारी शुरू कर दी है। संभवत दिसंबर महीने से निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। ब्रह्मपुत्र नदी (Brahmaputra River) के नीचे यह सुरंग असम के नुमालिगढ़ और गोहपुर के बीच बनाई जाएगी। इस सुरंग के बन जाने से 242 किमी की दूरी घटकर सिर्फ 15 किमी रह जाएगी। डबल ट्यूब के रूप में यह सुरंग काफी मजबूत और वेंटिलेशन युक्त बनाई जाएगी, जिसमें सेना की बख्तरबंद गाडियां, टैंक, साजो—समान आराम से ले जाया सके। इससे छह घंटे का सफर मात्र 15 मिनट में पूरा किया जा सकेगा।
बता दें कि चीन (China) ब्रह्मपुत्र नदी (Brahmaputra River) को हथियार के तौर पर इस्तेमाल करता है। बारिश के समय में पानी छोड़ देता है, जिससे ब्रह्मपुत्र नदी में बाढ़ आ जाती है। बाढ़ की स्थित में भारतीय सैनिकों (Indian Army) को बॉर्डर (Border) तक पहुंचने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस अंडर वॉटर टनल से असम (Assam) और अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के पहाड़ी क्षेत्रों तक सीधा संपर्क स्थापित हो जाएगा।

वॉटर टनल बनाने की मंजूरी

चीन (China) से युद्ध की स्थिति में यह सुरंग सामरिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। अभी असम और अरुणाचल को जोड़ने वाला एक मात्र ढोला-सादिया पुल है। जिसका उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी ने तीन साल पहले किया था, ब्रह्मपुत्र नदी पर बना पुल 9 किलोमीटर लंबा है। इस पुल के बनने से अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर और असम की राजधानी गुवाहाटी के बीच की दूरी 165 किलोमीटर तक घट गई है। युद्ध की स्थिति में चीन इस पुल को निशाना बना सकता है। लिहाजा बैकअप प्लान के लिए वॉटर टनल बनाने की मंजूरी दे दी गई है।
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