परीक्षा में अच्छे अंक मिले ना मिले, ये आपकी योग्यता या फिर भविष्य में सफलता का पैमाना नहीं है । बोर्ड परीक्षा में कम मार्क्स लाने वाले छात्र भी भविष्य में बड़ी उपलब्धि हासिल कर सकते हैं, और ये सब मुमकिन है संकल्प और मेहनत से । देश में 10वीं और 12वीं के नतीजें आ गए हैं, अधिक अंकों से उत्तीर्ण बच्चे खुश हैं तो वहीं कम अंक को लेकर चली आ रही धारणाएं बच्चों को परेशान करती हैं । लेकिन आपको कम अंकों से परेशान होने की नहीं बल्कि आगे देखने की जरूरत है । ऐसे ही दो सफल लोगों को आगे जानिए ।
आईएएस अधिकारी नितिन सांगवान
2015 बैच के अधिकारी नितिन सांगवान ने अपने ट्विटर अकाउंट से एक ट्वीट कर, परीक्षा में कम अंक लाने वाले बच्चों की हौसला आफजाई की है । अधिकारी ने अपनी 12वीं की मार्कशीट की तस्वीर भी शेयर की है, जिसमें एक
विषय में उन्हें बेहद कम अंक मिले हैं । सांगवान को कैमिस्ट्री में सिर्फ 24 तो फिजिक्स में 33 अंक मिले थे । उन्होने खुद ये जानकारी ट्वीट कर दी । लेकिन वो इन कम अंकों से निराश नहीं हुए । कम अंकों की चिंता किये बिना तैयारी शुरू की । और हरियाणा के राज्यस्तरीय इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में सफल हुए ।
सक्सेस स्टोरी ऑफ IAS नितिन सांगवान
हरियाणा के चरखी दादरी के रहने वाले नितिन सांगवान के पिता राज्य सरकार में मुलाजिम थे। औसत मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले निति 12वीं की परीक्षा में बहुत ही कम नंबर लाए थे । इसके बाद भी नितिन ने आगे परीक्षा
की तैयारी की, पहले राज्यस्तरीय इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा पास की, मैकेनिकल इंजीनियरिंग से बीई की डिग्री ली। फिर आइआइटी मद्रास से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई पूरी की और इनफोसिस में भी नौकरी की । और बेहतर करने का मन था, तो सिविल सर्विसेज एग्जाम कर तैयारी की । नौकरी करते हुए 2014 में वे यूपीएससी की परीक्षा में बैठे, आईआरएस बने । इस पर भी संतोष नहीं हुआ, 2015 में फिर परीक्षा दी । उन्हें 28वीं रैंक मिली और आईएएस के लिए चुने गए ।
IPS गुप्तेश्वर पांडेय से लीजिए सीख
वहीं वर्तमान में बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय भी एक प्रेरणादायी शख्सियत हैं। 1987 बैच के बिहार कैडर के आइपीएस अधिकारी, बचपन में गांव के सरकारी स्कूल में पढ़े । पढ़ाई में औसत से भी कम थे । छठी तक तो अंग्रेजी
भी नहीं पढ़ी । 11वीं की परीक्षा में फेल हो गये । फिजिक्स और केमेस्ट्री में बहुत ही कमजोर । लेकिन खराब नतीजों ने उनके संकल्प को ढहने नहीं दिया । कॉलेज की पढ़ाई के लिए पटना विश्वविद्यालय, ग्रेजुएशन के बाद यूपीएससी की परीक्षा में बैठे और 1987 में वे आइपीएस चुने गये । गुप्तेश्वर पांडेय का मानना है कि जब उनके जैसे एक औसत छात्र को सिविल सर्विसेज एग्जाम में कामयाबी मिल सकती है तो किसी के लिए भी यहां तक पहुंचना मुश्किल नहीं है ।
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