चीन को सबक सिखाने के लिए अमेरिका ने उठाया ये बड़ा कदम, अब ड्रैगन की खैर नही

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर लगातार अ्मेरिका की सक्रियता सामने आ रही है। वहीं अब खबर है कि चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए अमेरिका ने चीन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अमेरिका का मानना है कि यदि चीन को एशिया में शह मिलता रहा तो संपूर्ण एशिया के लिए वो खतरा पैदा कर सकता है। लिहाजा अब चीनी दादागिरी की काट निकालने के लिए अमेरिका ने यूरोप के देशों से अपनी सेना को निकालकर एशियाई देशों में तैनात करने का फैसला किया है, ताकि चीन की दादागिरी पर विराम लगाया जा सके। बता दें कि अमेरिका ने यह कदम ऐसे समय पर उठाया है, जब भारत और चीन के बीच विवाद अपने चरम पर है और अब चीन दादागिरी पर उतर आया है, जिसको ध्यान में रखते हुए अ्मेरिका का यह कदम खासा मायने रखता है।
वहीं अमेरिका द्वारा यूरोपिय देशों से अपने सैनिकों को निकालने पर यूरोपिय युनियन ने आपत्ति जाहिर की है। यूनियन ने कहा कि आखिर यूरोपिय देशों से अमेरिका अपने सैनिकों को क्यों निकाल रहा है? जिसका जवाब देते हुुए खुद अमेरिकी विदेश मंंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है, ताकि इन सैनिकों की तैनाती एशिया में कर सके, चूंकि चीन दक्षिण चीन सागर सहित संपूर्ण एशिया के लिए खतरा पैदा कर सकता है, जिसको ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है। अभी हाल ही में अमेरिका ने जर्मनी से अपनी सेनाओं को रवाना कर दिया है।

माइक पोम्पियो के मुताबिक, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के यह कदम दर्शाते हैं कि यह भारत के सामने चुनौती वियतनाम के सामने खतरा है, मलेशिया, इंडोनेशिया और दक्षिण चीन सागर में चीन एक चुनौती है। अमेरिकी विदेश मंंत्री ने कहा कि इस चुनौती से निपटने के लिए हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि अमेरिकी सैनिकों की तैनाती उचित रूप से हो सके। इसके साथ ही हिंद महासागर के इतर जापान, दक्षिण कोरिया और फिलीपींस में अमेरिका का सैन्य अड्डा है। वहीं इससे पहले भी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने दक्षिण चीन सागर के सैन्यीकरण के लिए चीन की आलोचना की थी। उन्होंने इसके लिए चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को जिम्मेदार बताया था।
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