जाने माँ छोले बाली पांच देवियों के मंदिर के बारे में...

सागर भोपाल मार्ग पर रायसेन से 14किलोमीटर की दूरी पर प्राचीन सुप्रसिद्ध माँ छोले बाली पाँच देवियो के मन्दिर है। इन देवियो की मूर्ति किसी न बनाई नहीं है यह अनगढ़ देवी है।
कहते बहुत साल पहले यहाँ किसी का खेत था खुदाई के दौरान यह पाँचो देवियाँ यहाँ निकली है। मिट्टी की एक पिन्ड नुमा हैं पीपल के वृक्ष के नीचे यह पीपल भी उतना ही पुराना है। समय के चलते चलते यह मंदिर आज विशाल मंदिर बन चुका है माँ छोले बाली सभी की मनोकामनायें पूर्ण करती है। यहाँ भक्त लोग दूर दूर से आते है माँ के दरवार अपना माथा टेकते है तथा यहाँ हर वर्ष यज्ञ होता है नो देवी का पूजन होता है मेला लगता है। खण्डेरा ग्राम मे यहाँ हर वर्ष रायसेन के परम भक्त जमना सेन जी हजारों मीटर लम्बी चुनर लेकर बड़े हर्ष उल्लास के साथ क्वाँर की नवरात्रि की षष्ठी के दिन हाथी ऊट अश्व के साथ ढोल नगाड़े के साथ तरह तरह के नृत्य गान के साथ चुनरी चढाते है हेलीकाप्टर से पुष्प वरसा हो एक विहंगम् दृश्य होता है यह एक सुन्दर भक्ति भाव की धारा है जो हर वर्ष बहती चली आ रही है।
बहुत श्रद्धा के साथ माँ छोले वाली माता जी की चुनरी यात्रा निकलती है लोग दूर से भाग लेते है पैदल 14 किलोमीटर की यात्रा कर अपने आप को भाग्य शाली मानते है। पाँच छः हजार भक्त भाग लेते है उनकी आस्था को नमन करते हुए हर जगह स्वागत के स्टाल लगे होते है पानी फलाहार की व्यवस्था होती है फूलो की बहार होती है 12 वजे से भोपाल सागर विदिशा रायसेन रोड बंद हो जाता है।
नवरात्रि समापन के बाद यह चुनरी की साड़ी गरीब सुहागन स्त्रियों को मा भगवती के प्रसाद स्वरूप वितरित की जाती है। जो भी भक्त यहाँ आते है और माँ के दर पर अपनी मुराद के धागे बाँध है माँ उनकी मुराद अवश्य सुनती है जब मनोकामना पूर्ण हो जावे अपनी श्रद्धा के अनुसार प्रसाद चढावे। मा सबकी मनोकामना पूर्ण करती हैं।

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